केरल में PFI की हड़ताल पर हाईकोर्ट की सख्ती, कहा- सार्वजनिक संपत्ति नष्ट नहीं होने दे सकते
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केंद्रीय जांच एजेंसियों के खिलाफ PFI ने शुक्रवार को हड़ताल का आह्वान किया था. लेकिन हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए हर संभव उपाय करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि हड़ताल पर पाबंदी है, फिर भी ऐसा किया गया. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया.
केरल हाईकोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की ओऱ से बिना परमिशन के हड़ताल और हिंसा की छिटपुट घटनाओं पर शुक्रवार को स्वतः संज्ञान लिया. कोर्ट ने कहा कि अदालत ने पहले ही हड़ताल पर पहले ही प्रतिबंध लगाया गया था. इसके बावजूद हड़ताल हुई और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट किया गया, जो कि किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
अदालत ने राज्य प्रशासन से हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने वाले अदालत के आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने सरकार से किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने के लिए हर संभव उपाय करने को कहा.
पीएफआई ने अपने नेताओं के कार्यालयों और आवासों पर छापेमारी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओऱ से गुरुवार को की गई कार्रवाई का विरोध किया. इसके चलते हड़ताल का आह्वान किया गया था.
PFI ने गुरुवार को जांच एजेंसियों की ओर से उनके संगठन के कार्यालयों, नेताओं के आवासों और अन्य परिसरों में किए गए छापे के विरोध में 23 सितंबर यानी आज केरल में राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया था. हालांकि, भाजपा की राज्य इकाई ने प्रस्तावित हड़ताल को "अनावश्यक" करार दिया. साथ ही राज्य सरकार से इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया.
एजेंसी के मुताबिक बीजेपी की ओर से PFI पर जमकर निशाना साधा गया. बीजेपी ने कहा कि पीएफआई द्वारा बुलाई गई पिछली सभी हड़ताल दंगे में तब्दील हो गईं थी. भाजपा के राज्य प्रमुख के सुरेंद्रन ने कहा कि राज्य के अधिकारियों को लोगों के जीवन और संपत्ति की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
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