
केरल में जहां चल रहा था वक्फ विवाद वहां BJP ने मारी बाजी, निकाय चुनाव में 'ऐतिहासिक' जीत
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केरल स्थानीय निकाय चुनावों में मुनंबम की जीत ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. वक्फ विवाद से जुड़े इस इलाके में NDA की सफलता को बीजेपी ईसाई समुदाय के बढ़ते समर्थन के तौर पर देख रही है. सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश के बीच यह मुद्दा आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकता है.
केरल के स्थानीय निकाय चुनाव इस बार केवल सीटों की गणित तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्होंने राज्य की राजनीति में कुछ ऐसे मुद्दों को भी केंद्र में ला दिया, जो आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा तय कर सकते हैं. लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) का परंपरागत दबदबा बरकरार है, कांग्रेस भी कई इलाकों में मजबूती से लड़ती दिखी, लेकिन बीजेपी के लिए यह चुनाव खास तौर पर अहम माना जा रहा है.
इसकी सबसे बड़ी वजह है एर्नाकुलम जिले का मुनंबम इलाका, जहां NDA की जीत को बीजेपी एक "राजनीतिक और सामाजिक टर्निंग पॉइंट" के रूप में पेश कर रही है. बीजेपी के केरल महासचिव अनूप एंटनी जोसेफ ने मुनंबम वार्ड में NDA की जीत को "ऐतिहासिक" बताया है.
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बीजेपी नेता का दावा है कि मुनंबम में करीब 500 ईसाई परिवार वक्फ बोर्ड के कथित अवैध दावों की वजह से अपने घरों से बेदखली के खतरे का सामना कर रहे थे. अनूप एंटनी के मुताबिक, मोदी सरकार और बीजेपी ने इस मुद्दे पर खुलकर इन परिवारों का साथ दिया, उसी का नतीजा है कि लोगों ने स्थानीय चुनाव में बीजेपी को अपना समर्थन दिया.
सात दशक पुराना है वक्फ विवाद की जड़
मुनंबम वक्फ विवाद की जड़ें आज से करीब सात दशक पुरानी हैं. 1950 में सिद्दीकी सैत नामक व्यक्ति ने यह जमीन फरीद कॉलेज को दान की थी. इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने इस भूमि के कुछ हिस्से स्थानीय निवासियों को बेच दिए, जबकि इन इलाकों में लोग पहले से रह रहे थे. साल 2019 में केरल वक्फ बोर्ड ने इस पूरी जमीन को वक्फ संपत्ति के तौर पर रजिस्टर कर दिया, जिससे पहले हुए सभी सौदे अमान्य माने जाने लगे. इसके बाद सैकड़ों परिवारों के सामने बेदखली का संकट खड़ा हो गया.

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