
कलाम नहीं, वाजपेयी को राष्ट्रपति और आडवाणी को PM बनाना चाहती थी बीजेपी, अटल के करीबी की किताब में दावा
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल से जुड़े कई अनकहे किस्से और राजनीतिक फैसलों का खुलासा उनकी मीडिया टीम का हिस्सा रहे अशोक टंडन की किताब में किया गया है. इसमें बताया गया है कि एपीजे अब्दुल कलाम के नाम से पहले राष्ट्रपति पद के लिए वाजपेयी का नाम आगे बढ़ाया गया था.
एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का 11वां राष्ट्रपति बनाए जाने से पहले भारतीय जनता पार्टी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति पद पर भेजने और लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव दिया था. हालांकि वाजपेयी ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था. यह दावा पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन ने अपनी किताब ‘अटल संस्मरण’ में किया है.
अशोक टंडन की किताब ‘अटल संस्मरण’ को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. टंडन 1998 से 2004 तक वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे. किताब के अनुसार, वाजपेयी का मानना था कि किसी प्रधानमंत्री का बहुमत के दम पर राष्ट्रपति बनना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं होगा. टंडन लिखते हैं कि वाजपेयी इस विचार के लिए तैयार नहीं थे.
टंडन के शब्दों में, 'वाजपेयी इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे. उनका मानना था कि किसी लोकप्रिय प्रधानमंत्री का बहुमत के आधार पर राष्ट्रपति बनना भारतीय संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं होगा. यह एक बेहद गलत परंपरा स्थापित करेगा और वह ऐसे किसी कदम का समर्थन करने वाले आखिरी व्यक्ति होंगे.'
जब वाजपेयी ने सर्वसम्मति से राष्ट्रपति बनाने की ठानी
इसके बाद वाजपेयी ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया. उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया.
टंडन लिखते हैं कि उस बैठक में सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी और डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हुए थे. उसी बैठक में वाजपेयी ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने राष्ट्रपति पद के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है.

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