कर्नाटक BJP में सबकुछ ठीक नहीं! जानिए क्यों अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं कर पा रही है पार्टी
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बीजेपी चाहती है कि नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का फैसला जातीय समीकरणों के हिसाब से किया जाए, जिससे 2024 के चुनाव कांग्रेस में गया लिंगायत वोट बैंक बीजेपी में लौट आए वोक्कलिंगा वोट बैंक में भी सेंध लग सके. पार्टी आलाकमान को येदियुरप्पा को भी नजरंदाज नहीं करना चाहता है.
कर्नाटक में मिली हार के बाद से प्रदेश बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा हैं. इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता हैं कि सिद्धारमैया के नेतृत्व में नई सरकार बनने के बाद तीन जुलाई से शुरु हुआ कर्नाटक विधानसभा का बजट सत्र 21 जुलाई को समाप्त होने वाला है लेकिन अभी तक विधानसभा के सदन में नेता विपक्ष की कुर्सी खाली है.
नेता प्रतिपक्ष का नाम नहीं हो सका घोषित
चुनाव नतीजों के बाद से अलाकमान ने इसको लेकर चर्चा कर दी थी कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नलीन कुमार कतील का कार्यकाल समाप्त हुए करीब एक साल हो गया उनकी जगह नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए लेकिन पार्टी हाईकमान अभी तक नए प्रदेश पर भी फ़ैसला नहीं कर पाई हैं. पार्टी आलाकमान ने पिछले सप्ताह ही में पंजाब, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के प्रदेश अध्यक्षों का नाम घोषित कर दिए, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी कर्नाटक के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का नाम घोषित नहीं किया गया.
विधानसभा का सत्र शुरू होने से पहले बीजेपी ने दिल्ली से मनसुख मांडविया और विनोद तावड़े दो पर्यवेक्षकों को बेंगलुरु भेजा था और ज़िम्मेदारी दी थीं सभी विधायकों से बात करके नेता विपक्ष के नाम पर सहमति बनाएं. दोनों पर्यवेक्षक बेंगलुरु जा कर विधायकों के साथ बैठकर दिल्ली लौटे और रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंप भी दी. लेकिन बीजेपी एक सप्ताह बाद भी अभी तक नेता विपक्ष के नाम की घोषणा नहीं कर सकी हैं.
बेटे के लिए पद चाहते हैं येदियुरप्पा
बीजेपी जमीन स्तर पर कर्नाटक सरकार के ख़िलाफ़ ज़मीन पर सक्रिय रूप से मुद्दे उठा रही हैं दिख रही है. चाहें मामला जैन संत की हत्या का है जिसे लेकर बीजेपी विरोध प्रदर्शन कर रही है, लेकिन प्रदेश नेतृत्व के बारे में फैसला न होने से पार्टी नेताओं के बीच में असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं.दो जुलाई पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदयुरप्पा ने जेपी नड्डा से मुलाक़ात की थीं. सूत्रों की माने तों येदयुरप्पा चाहते हैं कि उनके बेटे बी वाय विजयेंद्र को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष या प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौपी जाए.
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