
एलॉन मस्क के 7 साल के सौतेले भाई में क्यों है चीन को दिलचस्पी? पिता ने बताई वजह
AajTak
डेली मेल को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में, एरोल मस्क ने एक चौंकाने वाला दावा किया. उन्होंने कहा कि चीन इलियट रश को गेमिंग टूर्नामेंट के लिए भर्ती करना चाहता है. यहां तक कि इस सिलसिले में एक चीनी व्यापारी उनके दक्षिण अफ्रीका वाले फार्महाउस में गेस्ट के रूप में भी रुका था.
एलॉन मस्क के पिता एरोल मस्क ने दावा किया है कि चीन उनके 7 वर्षीय सौतेले भाई इलियट रश को एक गेमिंग टूर्नामेंट के लिए भर्ती करने की कोशिश कर रहा है. इस बात की जानकारी डेली मेल की एक रिपोर्ट में दी गई है. इलियट रश, एलॉन मस्क के सौतेले भाई और एरोल मस्क के दो सबसे छोटे बच्चों में से एक हैं.
एरोल ने रश को अपनी पूर्व सौतेली बेटी और वर्तमान प्रेमिका जाना बेजुइडेनहॉट के साथ जन्म दिया है. जाना, एरोल की दूसरी पत्नी हाइड बेजुइडेनहॉट की बेटी हैं. 79 वर्षीय एरोल ने 38 वर्षीय जाना को चार साल की उम्र से अपनी सौतेली बेटी के रूप में पाला था, लेकिन जब वह 30 साल की हुईं, तो दोनों ने एक संतान को जन्म दिया, जिससे काफी विवाद खड़ा हो गया.
'इलियट को गेमिंग टूर्नामेंट के लिए भर्ती करना चाहता है चीन'
डेली मेल को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में, एरोल मस्क ने एक चौंकाने वाला दावा किया. उन्होंने कहा कि चीन इलियट रश को गेमिंग टूर्नामेंट के लिए भर्ती करना चाहता है. यहां तक कि इस सिलसिले में एक चीनी व्यापारी उनके दक्षिण अफ्रीका वाले फार्महाउस में गेस्ट के रूप में भी रुका था. एरोल मस्क ने कहा, 'वो कहते हैं कि वह चीन में सबसे बड़ा नाम बन सकता है. उनका मानना है कि वह एक बेहतरीन गेमर और चैंपियन है.' हालांकि, चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी माना जाता है, लेकिन एरोल इस बात को लेकर अधिक चिंतित नहीं दिखे.
एशले सेंट क्लेयर के दावे को लेकर पूछा सवाल
इंटरव्यू के दौरान, एरोल मस्क से दक्षिणपंथी इन्फ्लुएंसर एशले सेंट क्लेयर को लेकर भी सवाल किया गया, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने एलन मस्क के बच्चे को जन्म दिया है. हालांकि, एरोल ने इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि वह क्लेयर के दावे को सच मानते हैं या नहीं. बता दें कि एलन मस्क, एरोल मस्क और उनकी पहली पत्नी माये मस्क के बेटे हैं. माये और एरोल के तीन बच्चे हुए- एलन, किम्बल और टॉस्का.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







