
एक ने छोड़ी लाखों की नौकरी तो एक ने पढ़ाई, खेती कर गांव को बना दिया मशरूम हब
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उत्तराखंड के अल्मोरा के रहने वाले कमल पांडे और नमिता टमटा ने मशरूम की खेती से संबंधित एक स्टार्टअप की शुरुआत की है. इसके जरिए वे किसानों और महिलाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहे हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं.
आज जहां युवाओं में आईटी सेक्टर में नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो आईटी सेक्टर की लाखों रुपयों की नौकरी का पैकेज छोड़कर अपने गांव में वापस आकर स्टार्टअप की शुरुआत कर रहे हैं.
कोरोना के दौरान की थी स्टार्टअप उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले कमल पांडे और नमिता टमटा ने मशरूम की खेती से संबंधित एक स्टार्टअप की शुरुआत की है. इसके जरिए वे किसानों और महिलाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहे हैं. दोनों ने इस स्टार्ट अप की शुरुआत दो साल पहले कोरोना काल के दौरान की थी. बता दें कि एग्रो बाबा नाम के इस स्टार्टअप से तकरीबन 300 लोग जुड़े हुए हैं.
मिल चुका है पुरस्कार कमल पांडे और नमिता टमटा को इस काम के लिए स्टार्टअप उत्तराखंड चैलेंज के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है. उनके इस काम को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल रही है. कमल को ओमान में इंटरनेशनल प्रोजेक्ट के लिए मशरूम कल्टीवेशन कंसल्टेंट के रूप में भी बुलाया गया है.
एक ने छोड़ी नौकरी तो एक ने पढ़ाई बता दें कि कमल पिछले 10 सालों से दिल्ली के एक आईटी कंपनी में सीनियर पद पर कार्यरत थे. इस स्टार्टअप को शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और वापस गांव लौट आए. कमल बताते हैं कि लोगों ने उन्हें ये जरूर कहा कि एक मल्टी नेशनल कंपनी को छोड़कर रिस्क लेने की क्या जरूरत है. लेकिन उन्हें उत्तराखंड और वहां के लोगों के लिए कुछ करना है और इसलिए वे वापस अपने गांव आना चाहते हैं.
कमल बताते है कि अल्मोड़ा के जिस गांव में वे रहते हैं वहां पर पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है. यह भी एक कारण था कि जिसकी वजह से उन्होंने इस स्टार्टअप करने की ठानी. उसी तरह से नमिता ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं. उसी वक्त उन्होंने अपने परिवार वालों को इस स्टार्ट अप के बारे में बताया. तब परिवार वालों ने उनके इस फैसले का विरोध किया. कई दोस्तों और रिश्तेदारों ने उनका मजाक भी बनाया. लेकिन वह यहां की महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थी इसलिए अपने फैसले पर बनी रहीं.
उत्तराखंड को मशरूम हब बनाना है लक्ष्य नमिता और कमल दोनों ही मिलकर इस मशरूम के खेती के स्टार्टअप को चलाते हैं. वे अलग अलग तरह की मशरूम की खेती करते हैं जिसमें से मेडिसिनल मशरूम सबसे महत्वपूर्ण है. यह एक ऐसा मशरूम है जो बहुत कम जगहों पर मिलता है. इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है. हालांकि, नमिता और कमल बेसिक दामों में इले उपलब्ध करवाते हैं. इसके अलावा वे मशरूम अचार, मशरूम की चाय और और मशरूम का मसाला भी बनाते हैं. इन दोनों युवाओं का सपना है कि वे उत्तराखंड को मशरूम का एक हब बनाएं जिससे यहां के गांवों से पलायन की समस्या पूरी तरह खत्म हो जाए.

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