इस एक वजह से डूबा था टाइटैनिक! 111 साल पहले हुए हादसे की पूरी कहानी
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टाइटैनिक का मलबा दिखाने गई टाइटन पनडुब्बी कुछ दिन पहले लापता हो गई थी. इसमें पांच लोग सवार थे. जिन्हें मृत घोषित कर दिया गया है. इससे एक बार फिर 111 साल पुराना टाइटैनिक हादसा चर्चा में आ गया है.
अटलांटिक महासागर में साल 1912 में डूबे टाइटैनिक जहाज हादसे को लेकर एक बार फिर बात हो रही है. वजह ये है कि पांच लोगों को इसका मलबा दिखाने ले गई एक पनडुब्बी लापता हो गई. कंपनी OceanGate ने पनडुब्बी में सवार सभी पांच लोगों की मौत की पुष्टि की है. ऐसी खबरें हैं कि यात्रियों ने 2 करोड़ रुपये में टिकट खरीदे थे.
अब कुछ लोग इस तरह के एडवेंचर्स की काफी आलोचना कर रहे हैं. इनका कहना है कि जिस स्थान को कब्रगाह माना जाना चाहिए, उसे दिखाने के लिए लोगों को ले जाया जा रहा है. जबकि कुछ लोगों ने इस तरह के ट्रैवल की तुलना सुसाइड मिशन से की है. जिस टाइटैनिक हादसे की चर्चा बीते 111 साल से जारी है, आज हम उसकी पूरी कहानी जान लेते हैं.
टाइटैनिक एक विशालकाय समुद्री जहाज था. इसका असली नाम आरएमएस टाइटैनिक था. इसे लेकर कहा जाता था कि जहाज को ईश्वर भी नहीं डुबा सकता. इसकी लंबाई 269 मीटर थी और ये स्टील से बना था. इस पर करीब 3300 लोगों के ठहरने की सुविधा थी, जिसमें चालक दल और यात्री शामिल हैं. हालांकि जब ये ब्रिटेन से अमेरिका की तरफ जा रहा था, तभी अटलांटिक महासागर में रात के वक्त एक हादसे का शिकार हो गया, जिसने जहाज को कुछ घंटों में ही डुबा दिया. आज भी इसका मलबा वहीं पड़ा है, इसे निकाला नहीं जा सका.
हालिया घटना में शामिल लोग, इसी मलबे को देखने के लिए गए थे. टाइटैनिक को लेकर कहा जाता था कि इसका डिजाइन कुछ ऐसा था कि अगर एक कमरे में पानी भर जाए, तो उससे दूसरे कमरे को डुबाया नहीं जा सकता. हैरानी भरी बात ये है कि जहाज डूबने के इतिहास में अव्वल स्थान हासिल करने वाले टाइटैनिक का प्रचार करते वक्त कहा गया था कि यह डूब नहीं सकता. वजह ये थी कि इसमें कई तहखाने थे. जिन्हें वॉटरटाइट दीवारों से बनाया गया था. कहा गया कि तहखाने की दो कतारों में पानी भरने की स्थिति में भी ये जहाज नहीं डूबेगा.
जवाब- आयरलैंड के बेलफास्ट की हार्लैंड एंड वूल्फ नाम की कंपनी ने इस जहाज को बनाया था. इसकी लंबाई 269 मीटर, चौड़ाई 28 मीटर और ऊंचाई 53 मीटर थी. जहाज में तीन इंजन थे. साथ ही भट्टियों में 600 टन तक कोयले की खपत होती थी. उस वक्त इसे बनाने का खर्च 15 लाख पाउंड था. इसे तैयार होने में तीन साल लगे. जहाज में 3300 लोग सवार हो सकते थे. जब पहली बार ये सफर पर निकला तो 1300 यात्री और 900 चालक दल के लोग इस पर सवार थे. लग्जरी जहाज की टिकट काफी महंगी थी. उस वक्त फर्स्ट क्लास की टिकट का दाम 30 पाउंड, सेकंड क्लास का 13 पाउंड और थर्ड क्लास का 7 पाउंड था.
जवाब- टाइटैनिक जहाज हादसे से कुछ महीने पहले की बात है, जब ग्रीनलैंड के एक हिस्से में ग्लेशियर का 500 मीटर का बड़ा टुकड़ा उससे अलग हो गया. ये हवा और समुद्र के जरिए दक्षिण की तरफ जाने लगा. फिर 14 अप्रैल तक 125 मीटर का हो गया था. साल 1912 की 14 अप्रैल की उसी रात को इसकी टाइटैनिक से टक्कर हो गई. फिर चार घंटे के भीतर ही जहाज डूब गया. तब जहाज की रफ्तार 41 किलोमीटर प्रति घंटा थी. वो इंग्लैंड के साउथम्पैटन से अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर की तरफ तेजी से बढ़ रहा था.
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