
इकोनॉमी के डॉक्टर, राजनीति के गेमचेंजर... मनमोहन सिंह ने ऐसे बदल दी इंडिया की तस्वीर
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मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार के समय हुई किसान कर्जमाफी भी 2009 के लोकसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हुई. 2009 के आम चुनाव में जीत के साथ कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई और मनमोहन सिंह का नाम पंडित जवाहरलाल नेहरु के बाद पांच साल सरकार चलाने के बाद लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का जनादेश पाने वाले पहले प्रधानमंत्री के तौर पर भी दर्ज हो गया.
देश पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से शोक में है. देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक है और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से लेकर विपक्षी कांग्रेस और अन्य पार्टियों तक, तमाम शीर्ष नेताओं ने डॉक्टर सिंह के आवास पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की. पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा है कि देश ने एक विशिष्ट नेता खो दिया. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने डॉक्टर सिंह को अपना गुरु बताते हुए कहा है कि मैंने अपना मार्गदर्शक खो दिया है. राजनेताओं से लेकर आम नागरिक तक, हर कोई पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े किस्से, उनकी सादगी को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है. पूर्व पीएम डॉक्टर मनमोहन सिंह को आर्थिक उदारीकरण का जनक, ग्लोबलाइजेशन का शिल्पकार भी बताया जा रहा है. एक अर्थशास्त्री से लेकर वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री पद तक, डॉक्टर मनमोहन सिंह का सफर कैसा रहा?
इकोनॉमी के डॉक्टर थे मनमोहन सिंह
अर्थशास्त्र डीफिल डॉक्टर मनमोहन सिंह ने योजना आयोग में सहायक सचिव से लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, वित्त मंत्री और फिर प्रधानमंत्री के रूप में आमूलचूल बदलाव किए. डॉक्टर सिंह ने 16 सितंबर 1982 को आरबीआई गवर्नर का पद्भार संभाला और 14 जनवरी 1985 तक वे इस पद पर रहे. डॉक्टर सिंह के आरबीआई गवर्नर रहते बैंकिंग क्षेत्र में कई कानूनी सुधार हुए, शहरी बैंक विभाग की नींव पड़ी और आरबीआई एक्ट में एक नया चैप्टर जोड़ा गया. बैंकों की स्वायत्तता के पक्षधर रहे डॉक्टर सिंह ने ही यह प्रावधान किया था कि बैंकों को अपनी कुल जमाराशि का 36 फीसदी सरकार के पास सिक्योरिटी बॉन्ड के रूप में रखना होगा. इसे ही एसएलआर कहा जाता है.
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राजीव गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने 1985 में डॉक्टर मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया था. 1987 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मनमोहन सिंह का फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकास पर रहा. आरबीआई गवर्नर और योजना आयोग का उपाध्यक्ष रहते डॉक्टर सिंह ने सुधारवादी कदम उठाए और देश जब 1990 के दशक में आर्थिक संकट के भंवर में था, बतौर वित्त मंत्री ऐसे फैसले जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर ही पूरी तरह से बदलकर रख दी. मनमोहन के फैसलों ने देश को आर्थिक संकट से बाहर लाने में बड़ा योगदान दिया और नए भारत के निर्माण की आधारशिला रखी.
बतौर वित्त मंत्री अपने पहले ही बजट भाषण में डॉक्टर सिंह ने लाइसेंस राज को खत्म करने, विदेशी निवेश के लिए अर्थव्यवस्था खोलने का ऐलान किया. उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण और ग्लोबलाइजेशन के युग की शुरुआत की जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था की तकदीर और तस्वीर पूरी तरह से बदल दी. बतौर वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के फैसले क्रैश हो गई, दिवालिएपन के मुहाने पर खड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में सफल साबित हुए. एक मुश्किल समय में मनमोहन सिंह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए डॉक्टर साबित हुए.

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