
आंध्र में अचानक 90 हजार सरकारी कर्मचारियों के खाते से कट गए पैसे, करोड़ों रुपये गायब!
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विशेष मुख्य सचिव का दावा है कि सरकार ने पैसे नहीं निकाले हैं. उनका कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण ऐसा हो सकता है और उन्होंने इसकी जांच करने का वादा किया है. मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है जिसने सरकार को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
आंध्र प्रदेश सरकार के 90 हजार से अधिक कर्मचारियों के बैंक खातों से कथित तौर पर करोड़ों रुपये गायब हो गए. बैंक अकाउंट्स होल्डर्स का आरोप था कि राज्य सरकार ने उनके बैंक अकाउंट्स से रुपये वापस ले लिये हैं. आरोप लगाया गया कि राशि कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि (GPF) अकाउंट्स में जमा कराए गए थे जिसे अवैध रूप से निकाल लिया गया. उधर, विशेष मुख्य सचिव (वित्त) एस एस रावत ने बुधवार को इस आरोप से इनकार किया.
आरोपों के जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि DA बकाया राशि गलती से कर्मचारियों के जीपीएफ अकाउंट्स में जमा हो गई जो एक तकनीकी गड़बड़ी थी. ट्रेजर एंड अकाउंट्स के डायरेक्टर एसएस रावत ने प्रारंभिक जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि बिलों का भुगतान नहीं होने के बावजूद डीए बकाया जमा किया गया था.
रावत ने बताया कि ट्रेजरी नियमों के अनुसार, हर साल 31 मार्च तक लंबित रहने वाले सभी बिल संबंधित कोषागार अधिकारी द्वारा रद्द कर दिए जाएंगे. अवैतनिक डीए बकाया बिलों को रद्द करने के कारण, समायोजन राशि जो गलती से जीपीएफ खातों में जमा हो गई थी, उन्हें भी सिस्टम सॉफ्टवेयर द्वारा वापस ले लिया गया. विशेष मुख्य सचिव रावत ने कहा कि सरकार तकनीकी खराबी को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है.
इससे पहले सरकारी कर्मचारी संघों ने यहां राज्य वित्त विभाग के अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया, लेकिन उसका कुछ नहीं निकला. संघों ने अवैध निकासी को न केवल असंवैधानिक बल्कि आपराधिक भी कहा. एपी संयुक्त कार्रवाई समिति अमरावती के नेताओं ने विशेष मुख्य सचिव से मुलाकात की और इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा.
पिछले साल भी ऐसा हुआ था, शिकायतों के बाद राशि की गई थी वापस
आंध्र प्रदेश सरकार कर्मचारी संघ के अध्यक्ष के आर सूर्यनारायण के अनुसार, कर्मचारी संघों ने इस मुद्दे पर प्रधान महालेखाकार को भी याचिका दायर की क्योंकि वह जीपीएफ खातों के संरक्षक हैं. सूर्यनारायण ने कहा कि ऐसा मार्च में हुआ था, लेकिन मामला अब सामने आया है. उन्होंने बताया कि सोमवार की रात लेखा महालेखा परीक्षक कर्मचारियों के जीपीएफ डिटेल की पुष्टि कर रहे थे. पिछले साल एक बार ऐसा हुआ था और जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव से की गई तो राशि कर्मचारियों के खातों में फिर से जमा कर दी गई. बता दें कि पिछले साल मार्च में सरकार ने महंगाई भत्ते का बकाया कर्मचारियों के जीपीएफ खातों में जमा कर दिया था लेकिन फिर राशि तुरंत निकाल ली थी.

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