
'अध्यादेश उन्होंने फाड़ा, अब नियति ने लिया बदला, हमारी क्या गलती?' असम के CM ने राहुल पर साधा निशाना
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लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को वायनाड से सांसद राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा, तत्काल अयोग्यता के खिलाफ अध्यादेश को राहुल गांधी ने खुद फाड़ दिया था. अगर कर्म उसे वापस मारता है, तो हमारी क्या गलती है?
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के खिलाफ हुए एक्शन के लिए उन्हीं के कर्मों को जिम्मेदार ठहराया है. दरअसल लोकसभा सचिवालय ने बीते दिन शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर एक्शन लिया. लोकसभा सचिवालय ने वायनाड से सांसद राहुल गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया.
इससे पहले गुरुवार को मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, अदालत के फैसले के बाद राहुल को तुरंत जमानत भी मिल गई. लेकिन इस फैसले की वजह से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता चली गई. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए असम के मुख्यमंत्री ने कहा, तत्काल अयोग्यता के खिलाफ अध्यादेश को राहुल गांधी ने खुद फाड़ दिया था. अगर कर्म उसे वापस मारता है, तो हमारी क्या गलती है?
राहुल ने OBC समुदाय को पहुंचाई ठेस
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, अदालती सजा के बावजूद राहुल गांधी ने माफी क्यों नहीं मांगी? ऐसा अहंकार क्यों? राजनीतिक नेता कभी-कभी कुछ ऐसी बातें कह सकते हैं, जो किसी को आहत कर सकती हैं. जब ऐसी चीजें हमारे संज्ञान में लाई जाती हैं तो हम तुरंत क्षमा याचना जारी करते हैं. यह सिर्फ पीएम मोदी के बारे में नहीं है, राहुल गांधी ने ओबीसी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और फिर भी अवहेलना करते हैं.
राहुल ने 10 साल पहले फाड़ा था अध्यादेश
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने आज से 10 साल पहले मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ दिया था. अगर उन्होंने उस अध्यादेश को न फाड़ा होता तो उनकी सदस्यता पर आज किसी तरह का कोई संकट नहीं होता. मौजूदा जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) रद्द हो जाएगी. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे.

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