Uttarakhand Forest Fire: अंग्रेजों की एक गलती और आज तक धधक रहे हैं उत्तराखंड के पहाड़, जानिए इस आग की साइंटिफिक वजह
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Uttarakhand Wild Fire: लालच और गलतियां. यही वजह है उत्तराखंड के पहाड़ों की आग की. इंसानी भूल और मौसमी बदलाव बढ़ा रही है जंगल में आग की घटनाएं. 'खतरनाक सुदंरता' वाले जंगलों में किसने लगाई आग? क्या है Fire Season? जानिए दावानल की असली वजह...
अंग्रेजों की लालच, हमारे पूर्वजों, पिछली सरकारों और हमारी गलती का नतीजा है उत्तराखंड में हरे-भरे पहाड़ों में लगी भयानक जंगली आग. हमें पहाड़ों के मौसम में सर्वाइव करने के लिए जो करना पड़ा किया. क्योंकि चार्ल्स डार्विन ने सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट में कहा था कि हर प्राणी को खाने के लिए भोजन व रहने के लिए स्थान चाहिए. उन्हें उन प्राणियों से बचाव के लिए जगह चाहिए जो मारना चाहते हैं. उन प्राणियों का इलाका चाहिए जहां उनके शिकार जीव या वनस्पति उपलब्ध हों.
इसके लिए इंसानों ने और अन्य जीवों ने हर तरह के तरीके अपनाए. कब्जेदारों, आक्रमणकारी प्रजातियों और बचने वालों के बीच लगातार जंग चलती है. जो भारी पड़ता है वो सर्वाइव करता है. बाकी बचे और कमजोर या तो संख्या में कम हो जाते हैं. या फिर खत्म. उत्तराखंड के आग की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.
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उत्तराखंड के पहाड़ों पर लगी भयानक जंगली आग के लगने की कई वजहें है. लेकिन सबसे ज्यादा खतरनाक है यहां मौजूद चीड़ के पेड़ों (Pine Trees) के जंगल. उत्तराखंड के जंगल में 16 फीसदी इलाका इन्हीं पेड़ों का है. पिछले 300 सालों से ये 'खतरनाक सुंदरता' वाले चीड़ के पेड़ उत्तराखंड को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
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