Rubaiya kidnapping case: जम्मू की TADA कोर्ट में आज पेश होंगी रूबिया सईद, जानें क्या है पूरा मामला
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के गृह मंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद आज जम्मू की TADA कोर्ट में पेश होंगी. रूबिया सईद किडनैपिंग केस का मुख्य आरोपी जेकेएलएफ का चीफ यासीन मलिक भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होगा.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद जम्मू पहुंच गई हैं. उन्हें आज अपने किडनैपिंग मामले में जम्मू की TADA कोर्ट में पेश होना है. रूबिया सईद किडनैपिंग केस का मुख्य आरोपी जेकेएलएफ का चीफ यासीन मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होगा.
इससे पहले 15 जुलाई को रूबिया ने कोर्ट में जेकेएलएफ चीफ यासीन मलिक की पहचान अपहरणकर्ता के तौर पर की थी. अदालत में रुबिया ने बताया कि 1989 में यासीन मलिक और तीन लोगों के साथ मिलकर उनका अपहरण किया था. इस अपहण से पूरे देश में हड़कंप में मच गया था. रूबिया को छुड़ाने के लिए उस समय 5 आतंकवादियों को बदले में रिहा करना पड़ा था. 1990 से इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इस मामले में रूबिया को गवाह बनाया था. आतंकवादियों को फंडिंग के अपराध में यासीन मलिक इस समय उम्रकैद की सजा काट रहा है.
क्या था रूबिया अपहरण का मामला
जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में आतंकवाद अपने चरम पर था. उसी समय तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया. मुफ्ती मोहम्मद सईद जम्मू-कश्मीर के बड़े नेता थे और वो बाद में मुख्यमंत्री भी बने. लेकिन 1989 में केंद्रीय गृहमंत्री की बेटी के अपहरण की खबर ने पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया था. केंद्रीय गृहमंत्री की बेटी को छुड़ाने के लिए सरकार ने पूरी ताकत झोंक दी. बाद में रूबिया को छुड़ाने के लिए सरकार को 5 आंतकवादियों को छोड़ना पड़ा. इस पूरे कांड में जेकेएलएफ का सरगना यासीन मालिक मास्टरमाइंड था जो घाटी में अलगाववाद फैला रहा था.
उम्रकैद की सजा काट रहा है यासीन मलिक
यासीन मलिक इस समय आतंकवादियों को फंडिंग के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहा है. हालांकि उसके ऊपर और बड़ी घटना को अंजाम देने के आरोप में मुकदमा चल रहा है. जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में हुए आतंकी हमले से संबंधित है. वायु सेना के कर्मचारियों पर आतंकवादियों द्वारा गोलीबारी की गई, जिसमें एक महिला सहित 40 को गंभीर चोटें आईं थीं और वायुसेना के चार जवान शहीद हो गए थे.
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