
Real Estate Forecast: 10 साल तक फुल स्पीड से दौड़ता रहेगा रियल एस्टेट, खूब बिकेंगे घर, लेकिन...
AajTak
रियल एस्टेट सेक्टर का अगले एक दशक का विकास रेजिडेंशियल सेगमेंट को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगा. दरअसल, 2034 तक भारत की जनसंख्या बढ़कर 155 करोड़ हो सकती है, जिसमें से साढ़े 42 फीसदी आबादी शहरों में रहेगी.
बीते कुछ बरसों से देश के रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) ने तेज तरक्की करके सभी को हैरान कर दिया है. इस दौरान घरों के साथ-साथ ऑफिस और रिटेल स्पेस की डिमांड में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है. इससे प्रॉपर्टी (Property) की कीमतों में भी तेज उछाल आया है. इसके बाद हर किसी के मन में ये सवाल उठ रहा है कि क्या आगे भी रियल एस्टेट इसी स्पीड से दौड़ता रहेगा या इसमें ब्रेक लग सकता है.
इस सवाल का जवाब काफी हद तक नाइट फ्रैंक इंडिया और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी CII की 'Indian Real Estate: A Decade from Now' नाम की रिपोर्ट से मिल सकता है जिसके मुताबिक अगले एक दशक में देश का प्रॉपर्टी मार्केट 3 गुना बढ़कर 1.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है.
रियल एस्टेट का जीडीपी में होगा बड़ा योगदान
2023 में इसका साइज करीब 48 हजार 200 करोड़ डॉलर था. वहीं 10 साल में रियल एस्टेट की आर्थिक उत्पादन में हिस्सेदारी 7.3 फीसदी से बढ़कर साढ़े 10 परसेंट होने का अनुमान है. रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं की बढ़ती संख्या, शहरीकरण के विस्तार, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी और देश की जीडीपी के 10.1 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचने के अनुमान से रियल एस्टेट मार्केट बढ़ने का भरोसा है.
रियल एस्टेट सेक्टर का अगले एक दशक का विकास रेजिडेंशियल सेगमेंट को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाएगा. दरअसल, 2034 तक भारत की जनसंख्या बढ़कर 155 करोड़ हो सकती है, जिसमें से साढ़े 42 फीसदी आबादी शहरों में रहेगी. इस बढ़ती जनसंख्या को शहरों में 2024 से 2034 के बीच 7.8 करोड़ अतिरिक्त घरों की जरुरत होगी.
सस्ते घर की रहेगी खूब डिमांड

Polar Loop price in India: भारतीय बाजार में Polar ने अपना स्क्रीनलेस फिटनेस ट्रैकर लॉन्च कर दिया है. ये डिवाइस Whoop Band जैसे फीचर्स के साथ आता है. जहां Whoop Band के लिए यूजर्स को हर साल सब्सक्रिप्शन खरीदना होता है. वहीं Polar Loop के साथ ऐसा कुछ नहीं है. इस बैंड को यूज करने के लिए किसी सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं होगी.

इंडिगो एयरलाइन की उड़ानों पर मंडराता संकट शनिवार, 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ और हालात लगातार पांचवें दिन बिगड़े रहे. देश के कई हिस्सों में बड़ी संख्या में फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं. बीते चार दिनों से जारी इस गड़बड़ी का सबसे बड़ा असर शुक्रवार को दिखा, जब 1,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं, जबकि गुरुवार को करीब 550 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ी थीं.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.









