
NCERT सिलेबस में फेरबदल विवाद के बीच क्या बोले UGC चेयरमैन? जानें पूरा मामला
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NCERT Rationalisation Controversy: एनसीईआरटी की किताबों में संशोधन को लेकर चल रहे विवाद पर यूजीसी चेयरमैन ने अपनी टिप्पणी दी है. उन्होंने इसे अनुचित बताते हुए कहा कि इस पर बिना वजह बवाल किया जा रहा है. ऐसा पहले भी होता रहा है.
NCERT Rationalisation Controversy: यूजीसी के अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने शुक्रवार को एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों के फेरबदल पर आपत्ति जता रहे शिक्षाविदों की आलोचना करते हुए कहा कि उनके शोर मचाने का कोई ठोस आधार नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सामग्री में संशोधन करना पूरी तरह से उचित है.
प्रो एम जगदीश कुमार की ये टिप्पणी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तक विकास समितियों का हिस्सा रहे शिक्षाविदों के एक समूह द्वारा परिषद को पत्र लिखकर किताबों से उनके नाम हटाने की मांग करने के एक दिन बाद आई है. कुछ दिन पहले भी, कई शिक्षाविदों और राजनीतिक वैज्ञानिकों जैसे योगेंद्र यादव और सुहास पलशिकर ने एनसीईआरटी से "मूल ग्रंथों के कई मूल संशोधनों" पर पाठ्यपुस्तकों से अपना नाम हटाने के लिए कहा था.
'शिक्षाविदों' के हमले अनुचित प्रो एम जगदीश कुमार ने इस पर कहा कि हाल के दिनों में पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करने के लिए एनसीईआरटी पर कुछ 'शिक्षाविदों' के हमले अनुचित हैं. इन शिक्षाविदों के हल्ला-गुल्ला मचाने का कोई अर्थ नहीं है. उनके विरोध के पीछे का उद्देश्य अकादमिक कारणों से इतर प्रतीत होता है. उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी अपनी पाठ्यपुस्तकों की सामग्री का युक्तिकरण करने में पूरी तरह से न्यायोचित है.
प्रो कुमार ने कहा कि वर्तमान पाठ्यपुस्तक संशोधन कोई पहली बार नहीं हुआ है. एनसीईआरटी समय-समय पर पाठ्यपुस्तकों को संशोधित करता रहा है. एनसीईआरटी ने बार-बार कहा है कि पाठ्यपुस्तकों का संशोधन विभिन्न हितधारकों की प्रतिक्रिया और सुझावों से किया जाता है. एनसीईआरटी ने यह भी पुष्टि की है कि यह स्कूली शिक्षा के लिए हाल ही में लॉन्च किए गए नेशनल करिकुलम की रूपरेखा के आधार पर पाठ्यपुस्तकों का एक नया सेट विकसित कर रहा है. वर्तमान पाठ्यपुस्तकों से शैक्षणिक भार को कम करने के लिए सामग्री को युक्तिसंगत बनाया गया है. यह केवल एक अस्थायी चरण है.
क्या है विवाद? बता दें कि पिछले महीने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से कई विषयों और अंशों को हटाने से विवाद शुरू हुआ था. इस पर विपक्ष ने भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर "प्रतिशोध के साथ लीपापोती" का आरोप लगाया. विवाद के केंद्र में था जब रेशनलाइजेशन प्रैक्टिस के हिस्से के रूप में किए गए परिवर्तनों को अधिसूचित किया गया. इसमें कुछ ऐसे विषयों का उल्लेख नहीं था जो विवादास्पद बने. इसके कारण इन भागों को चोरी-छिपे हटाने की बात पर सवाल उठे.
एनसीईआरटी ने इस चूक को एक संभावित चूक के तौर पर बताया लेकिन हटाए गए विषय को यह कहते हुए पूर्ववत करने से इनकार कर दिया कि वे विशेषज्ञों की सिफारिशों पर आधारित थे. हालांकि, बाद में परिषद ने फिर अपना रुख बदल दिया और कहा कि छोटे बदलावों को अधिसूचित करने की आवश्यकता नहीं है.

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