
Mossad कैसे चुनता है एजेंट्स, किसके इशारे पर होते हैं ऑपरेशन, कहां से आता है बेहिसाब पैसा... ये सीक्रेट्स नहीं जानते होंगे आप
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मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है. यह इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. मोसाद इजरायल इंटेलिजेंस नेटर्वक के तहत काम करती है. इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलिजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी हैं.
लेबनान में जब पेजर, वॉकी-टॉकी, सोलर पैनल, रेडियो और लैपटॉप में धमाके हुए. तो इसके लिए इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को जिम्मेदार ठहराया गया. हालांकि, इजरायल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन इससे मोसाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है. ऐसे में जान लेना जरूरी हो जाता है कि आखिर मोसाद काम कैसे करता है और अपने एजेंट्स को किस प्रक्रिया के तहत चुनता है.
मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है. यह इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. मोसाद इजरायल इंटेलिजेंस नेटर्वक के तहत काम करती है. इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलिजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी हैं.
मोसाद का गठन इजरायल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियोन के आदेश पर 13 दिसंबर 1949 में हुआ था. दरअसल पीएम डेविड एक ऐसे संगठन को तैयार करना चाहते थे, जो सेना के साथ मिलकर देश की सुरक्षा के लिए खुफिया तौर पर काम करता रहे.
मोसाद खुफिया जानकारियों को इकट्ठा कर अपने ऑपरेशंस को अंजाम देता है. इसके अधिकतर ऑपरेशंस देशहित में होते हैं. आतंकवाद से निपटने के लिए भी मोसाद इस तरह के खुफिया ऑपरेशन में जुटा रहता है. मोसाद के निदेशक सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करते हैं.
मोसाद में कैसे होती हैं एजेंट्स की भर्तियां?
मोसाद में एजेंट्स की भर्तियों को समझने के लिए Katsa, Kidon और Sayanim इन तीन शब्दों को समझ लेना जरूरी है. मोसाद के फील्ड इंटेलिजेंस ऑफिसर को Katsa कहा जाता है. Katsa ही फील्ड एजेंट्स की भर्तियां करता है. Katsa दरअसल एक हिब्रू शब्द है, जिसका मतलब होता है खुफिया अधिकारी. इस पद पर बैठा शख्स मोसाद के एजेंट्स को लीड करता है और एजेंट्स के जरिए इकट्ठा की गई जानकारियों को मोसाद निदेशक को सौंपता है.

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