
Mann Ki Baat: गोजरी, वांचो, गोंधली... वो तीन भाषाएं जिनका पीएम मोदी किया जिक्र, बताई दिलचस्प बातें
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Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने 'मन की बात ' कहा कि भारत में उमंग और उत्साह से भरे ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो हमारी संस्कृति को निरंतर समृद्ध बना रहे हैं. मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि कितने ही लोग निस्वार्थ भाव से भारतीय संस्कृति के संरक्षण और इसे सजाने-संवारने के प्रयासों में जुटे हैं.
'Mann Ki Baat' के 110वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए निस्वार्थ भाव से प्रयास रहे अनगिनत लोगों के योगदान पर भी बात की. उन्होंने खासतौर पर तीन भाषाओं गोजरी, वांचो, गोंधली को लुप्त होने से बचाने के लिए सालों से काम कर रहे लोगों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि कितने ही लोग निस्वार्थ भाव से भारतीय संस्कृति के संरक्षण और इसे सजाने-संवारने के प्रयासों में जुटे हैं.
गोजरी भाषा पीएम मोदी ने 25 फरवरी को 'मन की बात' के 110वें एपिसोड में भाषा और उनके संरक्षण के लिए काम कर रहे लोगों के बारे में बात करते गोजरी भाषा का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में जुटे रहे हैं. वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो कि एक जनजातीय समुदाय है. उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, वो रोजाना 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे. इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ. उन्होंने बताया कि साहित्य के क्षेत्र में मानशाह जी के कार्यों का दायरा इतना बड़ा है कि इसे करीब 50 संस्करणों में सहेजा गया है. इनमें कविताएं और लोकगीत भी शामिल हैं. उन्होंने कई किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया है.
वांचो भाषा पीएम मोदी ने इस एपिसोड में वांचो भाषा का जिक्र करते हुए अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू के बारे में बताया, जो एक टीचर हैं और एक लैंग्वेज स्कूल बनवाया है. उन्होंने कहा, 'बनवंग लोसू ने वांचो भाषा के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है. यह भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है. इसके वांचो भाषा की एक लिपि भी तैयार की है. वो आने वाली पीढ़ियों को भी वांचो भाषा सिखा रहे हैं ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके.
गोंधली भाषा पीएम ने गीतों और नृत्यों के माध्यम से अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने का काम कर रहे लोगों में से एक कर्नाटका के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर के बारे में भी बात की. पीएम मोदी ने कहा कि वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर का जीवन भी इस मामले में बहुत प्रेरणादायी है. यहां के बागलकोट के रहने वाले सुगेतकर जी एक लोक गायक हैं. इन्होनें 1000 से अधिक गोंधली गाने गाए हैं, साथ ही, इस भाषा में, कहानियों का भी खूब प्रचार- प्रसार किया है. उन्होंने बिना फीस लिए, सैकड़ों विद्यार्थियों को ट्रेनिंग भी दी है.
पीएम मोदी ने 'मन की बात ' कहा कि भारत में उमंग और उत्साह से भरे ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो हमारी संस्कृति को निरंतर समृद्ध बना रहे हैं. आप भी इनसे प्रेरणा लीजिये, कुछ अपना करने का प्रयास करिए, आपको बहुत संतोष का अनुभव होगा.

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