Joshimath Sinking: बुझ रही है ज्योतिर्मठ की ज्योति, क्या धरती में समा जाएगा अवैज्ञानिक विकास के सहारे बसा शहर?
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Joshimath Land Sinking: बुझ रही है ज्योतिर्मठ की ज्योति. यानी जोशीमठ. यह शहर जमीन में समाने वाला है. वजह... नाजुक प्राकृतिक बसावट और इंसानी लालच. अवैज्ञानिक विकास के चलते ही शहर के धंसने का खतरा बढ़ गया है. कोई भरोसा नहीं किसी दिन पूरा शहर टिहरी के गांव की तरह पानी में समा जाए.
जोशीमठ उत्तराखंड के चमोली जिले का कस्बा है. 6150 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ. ज्योतिर्मठ के नाम से भी जाना जाता है. आदि शंकराचार्य का एक पीठ यहां भी है. भगवान बद्रीनाथ तक जाने का रास्ता भी यहीं से है. खैर... अभी यह धार्मिक और पर्यटन वाला शहर धंस रहा है. 81 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. 720 से ज्यादा इमारतों में दरारें मिली हैं, जो हर दिन चौड़ी होती जा रही हैं. आपदाओं ने इसे हर साल झकझोरा है.
साल 1976 में चेतावनी जारी की गई थी कि उत्तराखंड के जोशीमठ की भौगोलिक हालत ठीक नहीं है. सुधार के लिए विकास और प्रकृति में वैज्ञानिक संतुलन जरूरी है. लेकिन मानता कौन है? न लोग मानते हैं. न ही सरकार और प्रशासन. पहले यह समझिए कि क्या जोशीमठ ही सबसे ज्यादा खतरे में है? नहीं... पूरा का पूरा उत्तराखंड ही हिमालय के सबसे नाजुक और युवा हिस्से पर बैठा है. भूस्खलन, भूकंप, बाढ़, बादल फटना, हिमस्खलन और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं को बर्दाश्त करता आ रहा है.
असल में भारत का पूरा हिमालय बेहद नाजुक और कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील है. उत्तराखंड भारतीय हिमालय के उत्तर-पश्चिम में बसा है. यहां सबसे ज्यादा नुकसान लैंडस्लाइड और भूकंपों से होता है. उत्तराखंड राज्य पूरा का पूरा भूकंप के जोन-4 और जोन-5 में आता है. वैसे 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली में भूकंप के अलावा कोई बड़ा भूकंप यहां अभी तक नहीं आया है. इससे पहले सबसे भयानक भूकंप 1 सितंबर 1803 में गढ़वाल में आया था. हालांकि यहां कभी भी बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई जाती रही है.
6150 फीट ऊंचे भूस्खलन के मलबे पर बसा है जोशीमठ
जहां तक बात रही चमोली जिले की, जिसके अंदर जोशीमठ कस्बा है, वह सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था साल 2013 में आई आपदा से. जब केदारनाथ से आई फ्लैश फ्लड ने पूरे उत्तराखंड को पानी-पानी कर दिया था. जोशीमठ भूकंप से ज्यादा भूस्खलन के प्रति संवेदनशील है. क्योंकि यह प्राचीन भूस्खलन से आई मिट्टी पर बसा कस्बा है. असल में जोशीमठ की ऊंचाई यानी 6150 फीट ऊंचाई पर कोई पहाड़ नहीं है. वह एक भूस्खलन का मलबा है, जिसपर कस्बा बसा है.
अंदर से स्पॉन्ज जैसे खोखली हो चुकी है जोशीमठ की जमीन
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