
Israel-Hamas war: न खुलकर समर्थन, न विरोध... इजरायल-हमास जंग में मोदी सरकार के स्टैंड से कैसे फंस गई कांग्रेस
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इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में फॉस्फोरस बम चल रहे हैं तो वहीं देश की सियासत में भी इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच बयानी बम चलने लगे हैं. इजरायल-हमास जंग भारत में कैसे बीजेपी बनाम कांग्रेस होती जा रही है?
इजरायल और हमास के बीच जंग में भले ही फॉस्फोरस बम चल रहे हों लेकिन भारत में इसे लेकर सियासत बंट गई है. पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने हमास की आलोचना करते हुए इजरायल का पक्ष लिया तो वहीं कांग्रेस अब फिलिस्तीनी नागरिकों के अधिकारों की बात कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत आतंकवाद के हर रूप की निंदा करता है. इस मुश्किल घड़ी में भारत के लोग इजरायल के साथ मजबूती से खड़े हैं.
सरकार के इस रुख के बाद भारत में अब सियासी जंग छिड़ गई है. इजरायल और हमास की लड़ाई ने देश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बनाम कांग्रेस का रूप ले लिया है. बीजेपी जहां खुलकर इजरायल का समर्थन कर रही है तो वहीं कांग्रेस फिलिस्तीनी नागरिकों के अधिकारों की बात कर रही है. बीजेपी ने कांग्रेस को निशाने पर ले लिया है तो वहीं कांग्रेस पिछली सरकारों के रुख और पुराने नेताओं के बयान याद दिला रही है.
इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध पर क्या है कांग्रेस का स्टैंड
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने इसे लेकर संतुलित प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. जयराम रमेश ने इजरायल पर हमास के हमले की निंदा तो की लेकिन साथ ही फिलिस्तीनी नागरिकों के अधिकारों की बात भी की. कांग्रेस के इस रुख का पार्टी के भीतर ही विरोध शुरू हो गया. पार्टी ने बाद में सीडब्ल्यूसी की बैठक में प्रस्ताव पारित कर तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया और ये कहा कि हम फिलिस्तीनी नागरिकों के जमीन, स्वशासन और आत्म-सम्मान के साथ जीने के अधिकार के लिए अपना दीर्घकालिक समर्थन दोहराते हैं.
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सीडब्ल्यूसी से प्रस्ताव पारित होने के बाद कांग्रेस, बीजेपी नेताओं के निशाने पर आ गई. तेजस्वी सूर्या से लेकर मनोज तिवारी तक, बीजेपी के नेता कांग्रेस पर आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप लगाने लगे. तेजस्वी सूर्या ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले भारत की विदेश नीति किस तरह से अल्पसंख्यक वोट बैंक की राजनीति की बंधक थी, सीडब्ल्यूसी में पारित प्रस्ताव इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







