Indian Organ Donation Day Special: सीने में धड़क रहा हो दूसरे का दिल, तो कैसी होती है जिंदगी...
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इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे आज है. अंगदान का महत्व जानने के बावजूद आज भी बहुत कम लोग ऑर्गन डोनेट करते हैं. क्या आपने सोचा है कि किसी व्यक्ति को दूसरे का अंग खासकर हार्ट ट्रांसप्लांट किस कदर बदलकर रख देता है. उसकी सोच, जीवनशैली से लेकर सबकुछ बदल जाता है. इस भावना को समझने के लिए आप बागपत (गांव धनौरा) के राहुल प्रजापति की कहानी उन्हीं की जुबानी पढ़िए. ये किसी को भी ऑर्गन डोनेशन के लिए प्रेरित करने को काफी है.
मेरे हार्ट ट्रांसप्लांट को फरवरी से पांच साल हो गए. इस एक ट्रांसप्लांट से मुझे नई जिंदगी मिली है. मैं अब सोचता हूं कि मेरी जिंदगी ईश्वर का तोहफा है. हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद से मेरी सोच पूरी तरह सकारात्मक हो गई है. एक अहसास हमेशा मेरे साथ रहता है कि जिसका हार्ट मुझे मिला हुआ है वो हमेशा मेरे साथ है.
मैं जिस किसी भी खेल या प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेता हूं तो मन में आता है कि भले ही मैं अपने लिये नहीं या अपनी फैमिली के लिए नहीं जीत पाया तो कोई बात नहीं. मुझे उसके लिए जीतना है जिसका दिल मेरे भीतर धड़क रहा है. मैं हमेशा खुश रहता हूं ताकि यह दिल कभी न दुखे क्योंकि वो मेरे पास किसी और की अमानत है. अपने जीते-जी इसे खुश रखने की कोशिश करूंगा. यहां मेरी कहानी से आप समझेंगे कि मैंने क्या झेला है और आज मैं जिंदा हूं तो उसकी वजह कौन है....
12वीं की बोर्ड परीक्षाएं
मेरी कहानी साल 2012 से शुरू होती है. मेरे 12वीं के बोर्ड एग्जाम चल रहे थे. एक दिन अचानक मुझे बुखार आ गया. साथ में खांसी भी आ रही थी. मेरा तीसरा पेपर था, मैंने एक नॉर्मल क्लीनिक में जाकर डॉक्टर को दिखाया और दवा ले ली. लेकिन, मेरी खांसी नहीं जा रही थी. फिर भी मैं बोर्ड परीक्षा देता रहा.
एग्जाम पूरे हो गए तो मैं बागपत में अपने गांव चला गया. वहां दादी ने घरेलू नुस्खे करने शुरू कर दिए. देसी हल्दी से लेकर लौंग-काली मिर्च सब देकर देख लिया, खांसी नहीं गई. घरवाले मुझे बड़ौत ले गए, यहां डॉ प्रदीप जैन (एमडी मेडिसिन) को दिखाया. डॉक्टर ने मुझे तीन दिन की दवा दी. खांसी आते-आते एक महीना बीत चुका था. मुझे बस यही लगता था कि कोई ऐसी दवा मिल जाए जिससे ये खांसी चली जाए और मैं चैन से सो सकूं.
...पता चली दिल की बीमारी मुझे कहां पता था कि 'चैन' शब्द ही मेरी जिंदगी से जाने वाला है. वही हुआ भी तीन दिन के ट्रीटमेंट के बाद भी खांसी टस से मस नहीं हुई तो मैं दोबारा डॉक्टर के पास गया. डॉक्टर ने मुझसे कुछ जांच कराने को कहा. जांच के बाद सामने आया कि मुझे DCMP की समस्या है. इसे dilated cardiomyopathy कहते हैं जो हार्ट से जुड़ी बड़ी समस्या होती है. मैं चूंकि दिल्ली में रहता था तो मुझे वहां से एम्स के लिए रेफर कर दिया. एम्स में डॉक्टर संदीप सेठ के अंडर में आकर अपना इलाज कराने लगा.
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