Guidelines for Schools: भीषण गर्मी से बाधित हो रही स्कूली पढ़ाई, शिक्षा मंत्रालय ने जारी की एडवाइज़री
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Guidelines for Schools: कई राज्यों ने गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गर्मी की छुट्टियां प्री-पोन कर दी हैं जबकि कई अन्य राज्यों में स्कूलों की टाइमिंग में बदलाव किया गया है. पैरेंन्ट्स अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं. ऐसे में केन्द्र सरकार ने 10 बिंदुओं में सुझाव दिए हैं कि भीषण गर्मी के बीच स्कूलों में क्लासेज़ कैसे चलनी चाहिए.
Guidelines for Schools: भीषण गर्मी और हीट वेव के चलते अब स्कूलों में पढ़ाई मुश्किल हो रही है. पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों ने तो गर्मी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गर्मी की छुट्टियां प्री-पोन कर दी हैं. पंजाब और कुछ राज्यों में स्कूलों की टाइमिंग में बदलाव किया गया है ताकि गर्मी की मार से बचाव हो सके. अब पैरेन्ट्स अपने बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों से गर्मी की छुट्टियां जल्दी करने का अनुरोध कर रहे हैं. ऐसे में केन्द्र सरकार ने स्कूलों के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं. इसमें 10 बिंदुओं में सुझाया गया है कि स्कूलों को भीषण गर्मी के बीच कैसे क्लासेज़ आयोजित करनी हैं.
1. स्कूल के समय और दैनिक दिनचर्या में संशोधन - स्कूल का समय जल्दी शुरू हो सकता है और दोपहर से पहले खत्म हो सकता है. समय प्रातः 7.00 बजे से हो सकता है. - प्रतिदिन स्कूल के घंटों की संख्या कम की जा सकती है. - खेल या धूप में होने वाली अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए सुबह का समय समायोजित किया जा सकता है. - स्कूल एसेंबली को कम समय में पूरा कर कक्षाओं में आयोजित किया जाना चाहिए. - स्कूल खत्म होने के बाद डिस्पर्सल के दौरान भी इसी तरह का ध्यान रखा जा सकता है.
2. स्कूल आने-जाने का ट्रांसपोर्ट - स्कूल बस/वैन में अधिक भीड़ नहीं होनी चाहिए. इसमें छात्रों को बैठने की क्षमता से अधिक नहीं ले जाना चाहिए. - बस/वैन में पीने का पानी और प्राथमिक चिकित्सा किट उपलब्ध होनी चाहिए. - पैदल/साइकिल से स्कूल आने वाले विद्यार्थियों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे अपना सिर ढक कर रखें. - सार्वजनिक परिवहन से बचने और धूप में अपना समय कम से कम करने के लिए माता-पिता को यथासंभव छात्रों को लेने के लिए संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. - स्कूल बस/वैन को छांव में खड़ा किया जा सकता है.
3. पानी की व्यवस्था - छात्रों को सलाह दी जा सकती है कि वे अपनी पानी की बोतलें, टोपी और छतरियां साथ लाएं और खुले में बाहर जाने पर उनका उपयोग करें. - स्कूल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कई स्थानों पर पर्याप्त पीने योग्य पानी की उपलब्धता हो जो सामान्य तौर पर कुछ ठंडा हो. - ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए वाटर कूलर/मिट्टी के घड़े का उपयोग किया जा सकता है. - प्रत्येक क्लास में शिक्षक को बच्चों को उनकी पानी की बोतलों से पानी पीने के लिए याद दिलाना चाहिए. - घर वापस जाते समय, स्कूलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्र अपनी बोतलों में पानी ले जा रहे हैं. - छात्रों को गर्मी की लहर से निपटने के लिए उचित जलयोजन के महत्व से अवगत कराया जाना चाहिए और नियमित अंतराल पर पर्याप्त पानी पीने की सलाह दी जानी चाहिए. - ज्यादा पानी पीने के साथ, शौचालयों का उपयोग बढ़ सकता है इसलिए शौचालयों को स्वच्छ रखकर स्कूलों को इसके लिए तैयार किया जाना चाहिए.
4. भोजन की व्यवस्था - गर्मी खाने को खराब कर सकती है इसलिए पीएम पोषण के तहत गर्म पका हुआ भोजन ताजा परोसा जाना चाहिए. प्रभारी शिक्षक परोसने से पहले भोजन की जांच जरूर करें. - बच्चों को टिफिन में ऐसा खाना दिया जाना चाहिए जो जल्दी खराब न हो. - स्कूलों में कैंटीनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ताजा और गर्म भोजन परोसा जाए. - लंच/टिफिन के समय बच्चों को हल्का भोजन करने की सलाह दी जा सकती है.
5. आरामदायक कक्षा - स्कूल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पंखे काम कर रहे हैं और सभी कक्षाएं ठीक से हवादार हैं. - यदि संभव हो तो वैकल्पिक पावर बैकअप की उपलब्धता की व्यवस्था की जा सकती है. - सूर्य के प्रकाश को सीधे कक्षा में प्रवेश करने से रोकने के लिए पर्दे/अखबार आदि का उपयोग किया जा सकता है. - यदि स्कूल द्वारा अपने परिवेश को ठंडा रखने के लिए 'खस' के पर्दे, बांस/जूट की चिक आदि जैसी कोई स्थानीय पारंपरिक प्रथा का पालन किया जा रहा है, तो उन्हें जारी रखा जा सकता है.
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