CAA कैसे काम करेगा, आवेदन करने वालों को किस राज्य में मिलेगी नागरिकता? 10 जरूरी सवालों के जवाब
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CAA News: केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू करने की घोषणा कर दी है. इसके तहत अब तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी. उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा. पात्र शरणार्थियों को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी.
CAA News: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2024 की अधिसूचना जारी कर दी है. यानी पूरे देश में अब सीएए (CAA) लागू हो गया है. इस कानून के लागू होने से तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थी (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) अब भारतीय नागरिक बन सकेंगे. इसके लिए इन लोगों को सरकारी गाइडलाइन का पालन करना होगा और नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. हालांकि, कुछ जरूरी शर्तें भी रहेंगी. जैसे सीएए नियमों के तहत आवेदन करने से पहले भारत में एक साल तक लगातार रहना अनिवार्य है. सीएए को लेकर जानिए 10 सवालों के जवाब...
सीएए दिसंबर 2019 में संसद में पारित हो गया था. चार साल से ज्यादा समय बाद इसके नियमों को अधिसूचित किया गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए के लिए फॉर्म जारी कर दिया है. इसमे सभी जरूरी दस्तावेजों और नियमों की जानकारी दी गई है. उधर, पश्चिम बंगाल, केरल, मेघालय त्रिपुरा और असम में सीएए को लेकर विरोध शुरू हो गया है.
1. किन लोगों को मिलेगी नागरिकता?
ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए हैं. आवेदकों को वो साल बताना होगा, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेज के बिना भारत में प्रवेश किया था. भारत में आने का दिन, भारत में आने के लिए वीजा या इमिग्रेशन स्टैंप समेत अन्य जानकारियां देनी होंगी.
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2. CAA का सिस्टम कैसे काम करेगा?
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने पिछले महीने एक मीटिंग में अधिकारियों से हैदराबाद में लेक व्यू सरकारी गेस्ट हाउस जैसी इमारतों को 2 जून के बाद अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया था, जिन्हें 10 साल की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश को दिया गया था. विभाजन के दौरान हैदराबाद को दस साल के लए दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई थी.