
80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर
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Rupee @ All Time Low: अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे और अंतत: घरेलू स्तर पर इनके दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस समय एक डॉलर की विनिमय दर (Dollar To INR Exchange Rate) करीब 80 रुपये हो चुकी है. ऐसे में इसका आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है? आइए जानते हैं...
महंगी हो जाएंगी इम्पोर्टेड चीजेंRupee @ Historic Low: सबसे पहले तो ये जान लें कि भारत एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा करने वाला देश है. यानी ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं. इनमें पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान महत्वपूर्ण है. ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे और अंतत: घरेलू स्तर पर इनके दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
अगर ऐसा होता है तो आपके किचन में इस्तेमाल होने वाले सरसों और रिफाइंड तेल से लेकर गाड़ी डलने वाला पेट्रोल एवं मोबाइल और लैपटॉप सब महंगे हो जाएंगे. इसके अलावा जिन भी पैकेज्ड वस्तुओं में खाने के तेल का इस्तेमाल होता है, वो भी महंगी हो जाएंगी जैसे कि आलू के चिप्स, नमकीन वगैरह.
विदेश में पढ़ाई होगी महंगी रुपये की कमजोरी सिर्फ घर में महंगाई नहीं बढ़ाएगी. बल्कि भारत से जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं उनके मां-बाप के लिए भी नया सिरदर्द बनेगी. विदेश में पढ़ाई कर रहे बच्चों को अगर उनके माता-पिता पहले हर महीने 70,000 रुपये भेज रहे थे, तो अब डॉलर में उतनी ही रकम बच्चों को भेजने के लिए उन्हें करीब 80,000 रुपये भेजने होंगे. यानी महीने का खर्च बढ़ा सीधा 10,000 रुपये.
बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक तेजी कई अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. वैश्विक स्तर पर महंगाई अपने चरम पर है, तो वहीं अमेरिका में तो ये अपने 41 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है. रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये प्रयास ना काफी है.
वहीं देश का व्यापार घाटा भी बढ़ा है. जून में देश का व्यापार घाटा 26.18 अरब डॉलर रहा है. भले इस अवधि में देश का एक्सपोर्ट 23.5% बढ़ा है, लेकिन इसके मुकाबले में आयात कहीं और ज्यादा बढ़ा है. जून 2022 में देश का आयात सालाना आधार पर 57.55% बढ़ गया है. ऐसे में व्यापार घाटा (India's Trade Deficit) भी बढ़ा है. जून 2021 में भारत का व्यापार घाटा महज 9.60 अरब डॉलर था.

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