300 साल पुराना वो आइडिया जो बनाएगा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी, पीएम मोदी भी हैं मुरीद!
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एडम स्मिथ भाषा विज्ञान के विद्यार्थी रहे और दर्शनशास्त्र के शिक्षक. लेकिन उन्होंने थ्योरी दी अर्थशास्त्र पर. एडम स्मिथ के इस क्रांतिकारी सिद्धांत ने दुनिया को मुक्त अर्थव्यवस्था का मंत्र दिया. इस थ्योरी पर चलकर वर्ल्ड इकोनॉमी ने लंबे सफर तय किए और राष्ट्रों ने सरप्लस के रूप में अरबों-खरबों डॉलर पूंजी जमा किया. भारत में भी जब बाजार को सरकार के प्रतिबंधों से मुक्त किया गया तो एडम स्मिथ की थ्योरी की चर्चा हुई.
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक (Father of modern economics) कहे जाने वाले अर्थशास्त्री एडम स्मिथ (Adam smith) का बचपन उस बहुमंजिला घर में गुजरा था जिसकी खिड़कियां एक बाजार की ओर खुलती थी. समय आज से कोई 300 साल पहले (1723) का था. जगह थी यूनाइटेड किंगडम का स्कॉटलैंड. यहां किर्काल्दी नाम के गांव में लोग सुबह-सुबह इसी हाट में ब्रेड, दूध, मीट समेत जरूरत की अन्य चीजें खरीदते थे.
इसी छोटे से मार्केट में बालक एडम स्मिथ ने पहली बार लेन-देन, बाजार, और विनिमय को देखा. बालक एडम को पर्यवेक्षण (Observation) की शक्ति प्रकृति से मिली थी. उनका बालमन आस-पास की क्रियाओं का गहन अवलोकन करता था. स्कूल जाते और लौटते वक्त एडम स्मिथ रोज इस बाजार में घटने वाली आर्थिक क्रियाओं को देखते थे. इसी बाजार में पहली बार एडम स्मिथ ने एक्सचेंज सीखा, मार्केट के गुर सीखे, उनमें मुनाफा और नुकसान की समझ विकसित हुई. लंदन की पॉश कॉलोनियों में होने वाली साम्राज्यवादी हलचलों से दूर इसी छोटे से गांव में एडम स्मिथ अपनी मां के साथ रहते थे.
एडम स्मिथ ने ही दुनिया को दिया पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का कॉन्सेप्ट
किर्काल्दी के इसी बाजार में एडम ने अर्थशास्त्र के उस महीन सूत्र को पकड़ा जिससे आज भी दुनिया की इकोनॉमी संचालित हो रही है. ये सूत्र था मुक्त अर्थव्यवस्था का सिद्धांत. पूंजी के स्वतंत्र प्रवाह का सिद्धांत, यानी कि सरकारी नियंत्रण से मुक्त निजी कंपनियों को अपने दम पर फलने-फूलने देने की थ्योरी.
अर्थ और राष्ट्रों की संपत्ति की विवेचना कर रहे इस पॉलिटिकल इकोनॉमिस्ट ने ऐसी मौलिक स्थापनाएं दी जिससे दुनिया में पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist economy) का सूत्रपात हुआ. यही नीति आगे चलकर laissez-faire (लेसे फेयर) के रूप में विकसित हुई. लेसे फेयर यानी कि कंट्रोल से मुक्त आर्थिक नीति, जहां प्राइवेट कंपनियों के बीच लेन-देन टैक्स फ्री और 'पारदर्शी' होता है और स्टेट एजेंसियां इन कंपनियों पर न्यूनत्तम निगरानी रखती हैं. व्यापार का ये व्यवहार ही ग्लोबलाइजेशन और उदारीकरण लेकर आया. इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों का जन्म हुआ और दुनिया एक ग्लोबल बाजार में बदल गई.
आधुनिक अर्थव्यवस्था के पिता कहे जाते हैं स्मिथ
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