2024 का एजेंडा, राहुल का रोल, विपक्षी एकता... रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस के सामने बड़े सवाल
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कांग्रेस तीन दिनों तक रायपुर में बैठक कर भविष्य की राजनीति की रूपरेखा तैयार करेगी. इस दौरान यह बात साफ होगी कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का एजेंडा क्या होगा, विपक्षी एकता का फॉर्मूला क्या होगा और साथ ही राहुल गांधी की पार्टी में भूमिका किस तरह की होगी, क्योंकि पार्टी की कमान अब मल्लिकार्जुन खड़गे के हाथों में है.
कांग्रेस का 85वां महाधिवेशन शुक्रवार से छत्तीसगढ़ के रायपुर में शुरू हो गया है. तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक के दौरान राजनीति, अर्थव्यवस्था समेत कई विषयों पर चर्चा होगी. इसके अलावा कई मुद्दों पर प्रस्ताव पारित करने और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के गठन के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा और कांग्रेस विपक्षी एकता के नाम पर क्षेत्रीय दलों की दबाव की राजनीति से निपटने का फॉर्मूला पार्टी तलाशेगी. वहीं, संगठन को नई ऊर्जा और स्वरूप देने के लिए कई बदलावों की रूपरेखा बनाई जाएगी तो कांग्रेस में राहुल गांधी के रोल भी तस्वीर साफ होगी?
2023 और 2024 का चुनावी एजेंडा
कांग्रेस का अधिवेशन ऐसे समय पर हो रहा है जब कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावी तैयारी जोरों पर है. सियासी दल अपना-अपना एजेंडे सेट कर रहे हैं. कांग्रेस की अभी 3 राज्यों में अपने दम पर सरकार है, जिनमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसी साल चुनाव हैं. झारखंड, बिहार और तमिलनाडु में कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल है. 2018 में कांग्रेस इन चारों राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही थी, लेकिन एमपी और कर्नाटक में ऑपरेशन लोट्स के जरिए कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर बीजेपी काबिज हो गई थी.
कांग्रेस रायपुर अधिवेशन में अपनी मौजूदा सत्ता को बचाए रखते हुए बाकी दोनों ही राज्यों पर काबिज होने की रणनीति की रूप रेखा तैयार करेगी, क्योंकि इसे 2024 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइल माना जा रहा है. एक साल के बाद ही लोकसभा का चुनाव है. ऐसे में कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर व्यापक रूप रेखा तैयार करेगी. कांग्रेस ने अधिवेशन में जो भी मुद्दे रखें है, उससे पार्टी की रणनीति को समझा जा सकता है. कांग्रेस राजनीति, अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक न्याय, युवा और किसान के मुद्दे पर चर्चा करेगी.
विपक्षी एकता की तस्वीर होगी साफ
कांग्रेस का यह महाधिवेशन ऐसे समय हो रहा है कि जब आगामी लोकसभा चुनाव में करीब एक साल का समय बचा है और विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में लगातार चर्चा हो रही है. विपक्षी एकजुटता के संदर्भ में पार्टी अपना रुख स्पष्ट करेगी. 2024 में कांग्रेस विपक्षी एकता के नाम पर क्षेत्रीय दलों की दबाव की राजनीति से निपटने का फॉर्मूला भी तलाशेगी. इसमें यह भी तय किया जाएगा कि देश के किस राज्य में किस पार्टी के साथ किस तरह का गठबंधन हो और सहयोगी दलों से रिश्ता किस हद तक रखा जाए.
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