
इन 5 इलेक्ट्रिक कारों का भारतीय बाजार पर कब्जा, टाटा की ये कार नंबर-1
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साल 2020 में इलेक्ट्रिक सेगमेंट का टाटा का दबदबा रहा. टाटा की सबसे सुरक्षित SUV नेक्सॉन इलेक्ट्रिक ने बाजी मार ली. टाटा मोटर्स ने अपनी सबसे सुरक्षित एसयूवी नेक्सॉन को जनवरी-2020 को लॉन्च किया था.
साल 2021 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बेहद अहम रहने वाला है, धीरे-धीरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है. साल 2020 में कोरोना संकट की वजह से इलेक्ट्रिक गाड़ियां कम बिकीं, लेकिन सरकार का फोकस इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर है, और इसे इस्तेमाल में बढ़ावा देने के लिए कई तरह की छूट दी जा रही हैं. दरअसल, फरवरी- 2020 के ऑटो एक्सपो में लगभग सभी ऑटो कंपनियों ने इलेक्ट्रिक कारें पेश कीं, या फिर कॉन्सेप्ट सामने लाया. ऐसे में अगर आप नई इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो आइए जानते हैं साल 2020 में भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली इलेक्ट्रिक कार कौन-सी रही? इस खबर की मदद से आपको इलेक्ट्रिक कारों का चयन आसानी से कर पाएंगे. नंबर 1 पर टाटा नेक्सॉन का कब्जा साल 2020 में इलेक्ट्रिक सेगमेंट का टाटा का दबदबा रहा. टाटा की सबसे सुरक्षित SUV नेक्सॉन इलेक्ट्रिक ने बाजी मार ली. टाटा मोटर्स ने अपनी सबसे सुरक्षित एसयूवी नेक्सॉन को जनवरी-2020 को लॉन्च किया था. भारतीय बाजार में साल-2020 नेक्सॉन इलेक्ट्रिक कार ग्राहकों की पहली पसंद बनी है. पिछले साल टाटा नेक्सॉन EV की कुल 2,529 यूनिट्स बिकी.
HMD 101 और HMD 100 को भारत में लॉन्च कर दिया गया है. ये फोन्स कम कीमत में दमदार फीचर्स के साथ आते हैं. कंपनी ने इन फोन्स को 1000 रुपये से कम के इंट्रोडक्टरी प्राइस पर लॉन्च किया है. HMD 101 में कॉल रिकॉर्डिंग, MP3 प्लेयर और दमदार बैटरी जैसे फीचर्स मिलते हैं. आइए जानते हैं इन फोन्स की कीमत और दूसरे फीचर्स.

सिंगापुर के हाई कमिश्नर टू इंडिया, साइमन वोंग ने अपनी पोस्ट में दो स्क्रीनशॉट भी साझा किए. पहला स्क्रीनशॉट इंडिगो की ओर से आया व्हाट्सऐप अलर्ट था, जिसमें फ्लाइट कैंसिल होने की जानकारी दी गई थी. दूसरा स्क्रीनशॉट शादी स्थल पर मौजूद मेहमानों द्वारा भेजा गया, जिसमें उन्हें वोंग का इंतजार करते हुए देखा जा सकता था.

इंडिगो की फ्लाइट्स के लगातार कैंसिल और घंटों की देरी के बीच यात्रियों का कहना है कि एयरपोर्ट पर स्थिति बेहद अव्यवस्थित रही. कई यात्रियों ने शिकायत की कि न तो समय पर कोई अनाउंसमेंट किया गया और न ही देरी की सही वजह बताई गई. मदद के लिए हेल्प डेस्क और बोर्डिंग गेट पर बार-बार गुहार लगाने के बावजूद उन्हें स्टाफ का कोई ठोस सहयोग नहीं मिला.










