हैदरपोरा एनकाउंटर: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने तीसरे नागरिक का शव क़ब्र से निकालने का आदेश दिया
The Wire
आमिर लतीफ़ माग्रे उन चार लोगों में से एक थे, जो 15 नवंबर 2021 को श्रीनगर के बाहरी इलाके हैदरपोरा में एनकाउंटर में मारे गए थे. एनकाउंटर की प्रमाणिकता को लेकर जनाक्रोश और विरोध के कुछ दिन बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो मृतकों- अल्ताफ़ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल के शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया था. हाईकोर्ट ने आमिर का शव उनके परिजनों के सुपुर्द न करने के जम्मू कश्मीर पुलिस के फैसले को संविधान के अनुच्छेद 14 के उल्लंघन क़रार दिया है.
जस्टिस संजीव कुमार ने 13 पृष्ठों के अपने आदेश में कहा कि अगर शव ‘पूरी तरह सड़ गया है’ और इसे कब्र से निकालने से सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता को खतरा पहुंचता है तो तो याचिकाकर्ता और उसके करीबी रिश्तेदारों को वद्देर पायीन कब्रिस्तान में ही उनकी परंपरा और धार्मिक मान्यता के अनुसार अंतिम संस्कार करने की अनुमति दी जाएगी.
उस स्थिति में एकल न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि सरकार याचिकाकर्ता को अपनी परंपराओं के अनुसार गरिमापूर्ण तरीके से उनके बेटे का अंतिम संस्कार करने से वंचित रखने के लिए मुआवजे के तौर पर परिवार को पांच लाख रुपये पांच लाख रुपये का भुगतान करेगी और पारिवारिक परंपराओं, धार्मिक दायित्वों और विश्वास के अनुसार एक उचित अंतिम संस्कार कराएगी.
अपने आदेश में जस्टिस संजीव कुमार ने माग्रे परिवार को अंतिम संस्कार से वंचित करने के जम्मू कश्मीर पुलिस के फैसले को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के उल्लंघन करार दिया. उन्होंने आदेश में कहा, ‘प्रतिवादियों (जम्मू कश्मीर प्रशासन) का निर्णय याचिकाकर्ता को उसके बेटे के शव को अंतिम संस्कार के लिए अपने पैतृक गांव ले जाने की अनुमति नहीं देने का निर्णय मनमाना था और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन है.’
आदेश में जस्टिस कुमार ने कहा, ‘मुझे प्रतिवादियों द्वारा किए गए किसी भेद में कोई तुक नजर नहीं आया. यह पता चलता है कि जनता के दबाव और दो मृतक अल्ताफ अहमद भट और डॉ. मुदासिर गुल के रिश्तेदारों द्वारा की गई मांग पर प्रतिवादी मान गए और उनके शवों को निकालने और उनके रिश्तेदारों को सौंपने की अनुमति दे दी. चूंकि याचिकाकर्ता जम्मू प्रांत के एक दूरदराज के गांव गूल का निवासी था और घाटी में इस संबंध में ज्यादा कुछ नहीं कहा नहीं गया था, इसलिए उसके अनुरोध को मनमाने ढंग से ठुकरा दिया गया था.’