'हेराफेरी 3' तो बन जाएगी लेकिन क्या बाबू भैया को न्याय मिलेगा?
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पिछले कुछ महीनों में 'हेराफेरी 3' को लेकर काफी चर्चा रही है. फिल्म से अक्षय कुमार के बाहर होने और फिर वापस आने से लेकर, संजय दत्त की कास्टिंग तक ये फिल्म काफी चर्चा में रही है. अब आखिरकार फिल्म बन रही है. हमें लगता है कि 'हेराफेरी' से 'फिर हेराफेरी' तक बाबू भैया के साथ अन्याय हुआ है. कैसे? आइए बताते हैं.
'अनहोनी को होनी करते, होनी को अनहोनी... एक जगह जब जमा हो तीनों' आनंद बक्षी ने ये लाइन वैसे तो 'अमर अकबर एंथनी' (1977) के तीनों लीड किरदारों के लिए लिखी थी. मगर वक्त, हालात और जज्बात इस बात की गवाही देते हैं कि ये लाइन 'हेराफेरी' (2000) के लीड किरदारों राजू, श्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे पर ज्यादा फिट बैठती है.
हिंदी कॉमेडी फिल्मों की ये आइकॉनिक तिकड़ी एक बार फिर से जनता को हंसी का फुल डोज देने के लिए तैयार है. आखिरी बार 2006 में रिलीज हुई 'फिर हेरा फेरी' में नजर आई ये तिकड़ी, 'हेराफेरी 3' में फिर से लौट रही है. पिछले कुछ महीनों में 'हेराफेरी 3' को लेकर काफी खबरें और चर्चाएं सामने आती रही हैं. अक्षय कुमार का इस सीक्वल से बाहर होना, फिर वापस लौटना, कास्ट में कार्तिक आर्यन के आने की रिपोर्ट्स और संजय दत्त का नाम कन्फर्म होने की खबरें जनता की नजरों में बनी रहीं. सारे तामझाम के बाद अब 'हेरा फेरी 3' फाइनली बन रही है.
अक्षय कुमार फिर से राजू और सुनील शेट्टी, श्याम के किरदार में लौट रहे हैं. परेश रावल भी एक बार फिर बाबूराव गणपत राव आप्टे उर्फ बाबू भैया बनेंगे ही, लेकिन इस किरदार का फैन होने के नाते हमें एक छोटी सी टेंशन है. और शायद बाबू भैया के तगड़े वाले फैन्स भी इस बात से सहमत होंगे. हमें लगता है कि हेरा फेरी फ्रैंचाइजी की दूसरी फिल्म 'फिर हेराफेरी' में बाबू भैया के साथ न्याय नहीं हुआ. अगर आप सोच रहे हैं कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, तो आइए बाबू भैया के किरदार की डिटेल्स में चलते हैं...
बाबू भैया की 'ऑरिजिन स्टोरी' पहली 'हेरा फेरी' फिल्म को बहुत सारे लोगों ने एक बार नहीं, कई-कई बार देखा होगा. राजू (अक्षय कुमार), श्याम (सुनील शेट्टी) और बाबू भैया (परेश रावल) के किरदार पहली बार इसी फिल्म में मिले थे. 'हेरा फेरी' में बाबू भैया की पूरी कहानी है. अपने जिस घर में बाबू भैया ने राजू और श्याम को पनाह दी, वो घर और गैराज उनके पिता ने बहुत कड़ी मेहनत से बनाया था. लेकिन बाबू भैया की मां के बीमार पड़ने पर काफी कर्ज हो गया, जिसे चुकाते चुकाते उनके पिता का निधन हो गया.
बाबू भैया को विरासत में जर्जर होते पुराने घर और अब ग्राहकों को तरसते स्टार गैराज के साथ, पिता का लिया कर्ज भी मिला. 'हेरा फेरी' में हम कर्ज देने वालों को बाबू भैया के घर के बाहर खड़ा होकर कर्ज चुकाने के लिए तकादा करते भी देखते हैं. राजू और श्याम अपनी बेरोजगारी से परेशान लड़के थे और पैसे कमाकर जिंदगी अच्छी बनाना चाहते थे. बाबू भैया का सपना ये था कि वो अपने पिता पर चढ़े कर्ज की पाई-पाई चुकाने के बाद, अपने घर के बाहर कुर्सी डालकर, बिना गर्दन झुकाए बैठना चाहते थे. भले ऐसा सिर्फ एक ही दिन के लिए हो.
इस बैकस्टोरी के साथ दर्शकों को ये यकीन करने की पक्की वजह मिल जाती है कि एक शरीफ सा दिखने वाला आदमी, राजू के उस घिनौने से प्लान में शामिल हो सकता है, जो एक बच्ची को किडनैपिंग से छुड़ाने के लिए दी जा रही फिरौती में कमीशन खाने जैसा है. ये 'ऑरिजिन स्टोरी' न हो तो 'हेरा फेरी' में बाबू राव से पहली मुलाकात में दर्शक बिल्कुल भी नहीं सोच सकते कि वो नैतिकता के लेवल पर इतना भ्रष्ट काम कर सकता है.