
हाई-टेक ड्रोन और ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार... धर्मस्थल सामूहिक दफन केस का 'राज' खोलेगी ये खास तकनीक
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Dharmasthala Mass Burial Case: कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बहुचर्चित धर्मस्थल सामूहिक दफन केस की जांच नया मोड़ ले चुकी है. एसआईटी ने जमीन के नीचे दफन किसी भी अवशेष का सुराग पाने के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है.
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बहुचर्चित धर्मस्थल सामूहिक दफन केस की जांच नया मोड़ ले चुकी है. एसआईटी ने जमीन के नीचे दफन किसी भी अवशेष का सुराग पाने के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. सूत्रों के मुताबिक, यह स्कैनिंग खास तौर पर साइट नंबर 13 के लिए की जा रही है. यहां पारंपरिक खुदाई में लगातार बाधाएं आ रही थी.
इसके साथ ही यहां पर रडार इमेजिंग से लैस हाई-टेक ड्रोन तैनात किया गया है. यह उपकरण सतह के नीचे की विसंगतियों की लाइव तस्वीरें तैयार करेगा, जिससे दबी हुई किसी भी वस्तु या अवशेष का पता लगाया जा सके. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इस जांच में शिकायतकर्ता और उनके वकील को भी मौजूद रहने दिया गया है. इस अभियान का नेतृत्व एसआईटी प्रमुख प्रणब मोहंती कर रहे हैं.
पिछले हफ्ते ही इस केस को पूरी तरह से एसआईटी के हवाले कर दिया गया था. इसके साथ ही धर्मस्थल थाने में क्राइम नंबर 39/2025, भारतीय न्याय संहिता की धारा 211(ए) के तहत दर्ज किया गया था. वैसे इस केस औपचारिक रूप से 19 जुलाई 2025 को एसआईटी को जांच के लिए दिया गया था. लेकिन बाद में कई अन्य केस दर्ज होने के बाद एसआईटी को जांच की पूरी कमान दे दी गई.
खुदाई में मिले नर कंकाल और नमक की बोरियां
धर्मस्थल के साइट नंबर 11ए पर 6 अगस्त को एसआईटी ने खुदाई पूरी की थी. इससे पहले इसी जगह नर कंकाल मिले थे. इसके दो दिन बाद जब खुदाई आगे बढ़ी, तो नमक की बोरियां बरामद हुईं. बताया जा रहा है कि नमक की इन बोरियों का इस्तेमाल शव को जल्दी गलाने के लिए किया गया होगा. खुदाई के बाद एसआईटी टीम शिकायतकर्ता को कड़ी सुरक्षा के बीच बेलथांगडी लेकर लौटी थी.

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