हाईकोर्ट के एक साल से फैसला सुरक्षित रखने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत सहमत
The Wire
सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले में कहा गया था कि यदि किसी कारण से कोई फैसला छह महीने के अंदर नहीं सुनाया जाता है, तब विषय में कोई भी पक्ष मामला वापस लेने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अर्ज़ी देने का हक़दार होगा और नए सिरे से दलील के लिए किसी अन्य पीठ को इसे सौंपा जा सकता है.
शीर्ष न्यायालय द्वारा 2001 में दिए गए एक फैसले का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि आदेश सुरक्षित रखे जाने के बाद उच्च न्यायालयों द्वारा फैसले सुनाए जाने के सिलसिले में दिशानिर्देश निर्धारित किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले में कहा गया था कि यदि किसी कारण से कोई फैसला छह महीने के अंदर नहीं सुनाया जाता है, तब विषय में कोई भी पक्ष मामला वापस लेने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अर्जी देने का हकदार होगा और नए सिरे से दलील के लिए किसी अन्य पीठ को इसे सौंपा जा सकता है.
यह मामला जस्टिस अनिरूद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, जिन्होंने याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है.
पीठ ने 15 दिसंबर को जारी अपने आदेश में कहा, ‘नोटिस जारी किया जाए, जिसका जवाब छह हफ्तों में देना होगा.’