हरियाणा में सीट शेयरिंग पर टूट के कगार पर BJP-JJP गठबंधन? बिना दुष्यंत चौटाला के नई सरकार का होगा गठन!
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हरियाणा में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में अर्जुन मुंडा और तरुण चौक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल होंगे. हरियाणा विधायक दल की बैठक दोपहर 12 बजे है.
हरियाणा की बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (JJP) की गठबंधन सरकार के लिए मंगलवार का दिन काफी अहम है. हरियाणा सरकार का मंत्रिमंडल आज सामूहिक इस्तीफा दे सकता है. इसके बाद नए सिरे से हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल का गठन हो सकता है. कहा जा रहा है कि अब हरियाणा में बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठबंधन नहीं रहेगा.
हरियाणा में विधायक दल की बैठक दोपहर 12 बजे बुलाई गई है. इस बैठक में अर्जुन मुंडा और तरुण चौक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल होंगे. वहीं कुछ देर पहले राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की आज दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की खबरें आई थी. इस दौरान लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग पर चर्चा होनी थी. दरअसल जेजेपी, बीजेपी से लोकसभा चुनाव में 1 से 2 सीटों की मांग कर रही है.
इससे पहले सोमवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी दुष्यंत चौटाला ने मुलाकात की थी लेकिन चुनाव में गठबंधन को लेकर बात नहीं बन पाई. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि बीजेपी दरअसल जेजेपी को सीट देने के पक्ष में नहीं है. जेजेपी को हरियाणा बीजेपी भी सीट देने के पक्ष में नहीं है. बीजेपी सभी दस सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है.
इस बीच हरियाणा के निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत ने कहा कि मैंने कल मुख्यमंत्री खट्टर से मुलाकात की थी. हम पहले ही सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार को अपना समर्थन दे चुके हैं. हम लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा कर सकते हैं. मुझे लगता है कि जेजेपी से गठबंधन टूटने की प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो गई है.
90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा की मौजूदा स्थिति
बीजेपी - 41
एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि बीजेपी और महायुति को जितनी सीटों पर जीतने की उम्मीद थी, वो पूरी होती नहीं दिख रही है. एग्जिट पोल में महाराष्ट्र की 48 सीटों में से बीजेपी को 20-22, कांग्रेस को 3-4, शिवसेना (ठाकरे गुट) को 9-11, शिवसेना (शिंदे गुट) को 8-10, एनसीपी (शरद पवार) को 4-5 और एनसीपी (अजित पवार) को 1-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने पिछले महीने एक मीटिंग में अधिकारियों से हैदराबाद में लेक व्यू सरकारी गेस्ट हाउस जैसी इमारतों को 2 जून के बाद अपने कब्जे में लेने का निर्देश दिया था, जिन्हें 10 साल की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश को दिया गया था. विभाजन के दौरान हैदराबाद को दस साल के लए दोनों राज्यों की राजधानी बनाई गई थी.