
हरियाणा की हार पर राहुल गांधी का गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन समस्या तो वो खुद भी हैं | Opinion
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जिस तरीके से अपनी बात कहने के बाद समीक्षा बैठक से राहुल गांधी उठ कर चले गये, साफ है कि हरियाणा की हार को लेकर वो साथी कांग्रेस नेताओं के रवैये से हद से ज्यादा खफा हैं. राहुल उन्हीं कांग्रेस नेताओं से नाराज़ हैं, जिनके हाथ में हाथ डालकर वे चुनाव प्रचार कर रहे थे.
राहुल गांधी कांग्रेस की उस बैठक में ज्यादा देर नहीं रुके जो हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा को लेकर बुलाई गई थी. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, और पर्यवेक्षकों के साथ साथ प्रभारी भी मौजूद थे.
कांग्रेस ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए जल्दी ही एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने का भी फैसला किया है - बैठक को लेकर खबर ये भी है कि राहुल गांधी ने अपनी बात रखी और फिर उठ कर चले गये, जिसे उनकी नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है.
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस हरियाणा चुनाव जीत सकती थी, लेकिन राज्य के नेताओं का निजी स्वार्थ हावी रहा.
लेकिन सवाल ये भी तो उठता है कि क्या राहुल गांधी को चुनाव के दौरान ये दिखाई नहीं देता है कि नेता अपना हित पार्टी के हित से ऊपर रख रहे हैं?
राहुल गांधी ने 2019 में भी ऐसा ही कहा था, लेकिन उसका कोई उपाय क्यों नहीं खोजा गया. अगर ये मामला सुलझा लिया गया होता, तो अब तो ऐसी नौबत ही नहीं आती.
राहुल गांधी की ये बात चुनाव का नेतृत्व कर रहे सिर्फ भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बारे में रही, या उनके साथ गहरे मतभेदों को लेकर चर्चा में रहीं कुमारी सैलजा को लेकर कही, ये साफ नहीं है.

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