
'हमें राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी नहीं...', SIR पर सुनवाई के दौरान बोला सुप्रीम कोर्ट
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प्रशांत भूषण ने कहा कि हटाए गए 65 लाख नामों की सूची केवल राजनीतिक दलों के एजेंटों को ही दी जा रही है, जबकि इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाना चाहिए. उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण इरादा बताते हुए कहा कि इस प्रक्रिया का तरीका पूरी तरह मनमाना है.
बिहार की मतदाता सूची से कथित रूप से 65 लाख नाम हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता पक्ष के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक दिन बाद ही चुनाव आयोग (ECI) ने वोटर लिस्ट से सर्च का बटन हटा दिया.
प्रशांत भूषण ने कहा कि हटाए गए 65 लाख नामों की सूची केवल राजनीतिक दलों के एजेंटों को ही दी जा रही है, जबकि इसे वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाना चाहिए. उन्होंने इसे दुर्भावनापूर्ण इरादा बताते हुए कहा कि इस प्रक्रिया का तरीका पूरी तरह मनमाना है. उन्होंने दावा किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में एक ही पते पर 240 नाम दर्ज हैं और मृत व्यक्तियों के नाम भी सूची में मौजूद हैं.
इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि मृत या जीवित 240 लोग एक ही पते पर नहीं हो सकते. कोर्ट ने कहा कि नियम 5 के तहत न्यूनतम आवश्यकता ये है कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट चुनाव पंजीकरण अधिकारी (ERO) के दफ़्तर में उपलब्ध हो. जस्टिस जे. बागची ने कहा कि वेबसाइट पर प्रकाशन स्वागत योग्य है, क्योंकि यह बड़ी संख्या में लोगों के लिए सुलभ होता है, लेकिन न्यूनतम शर्त ERO दफ़्तर में उपलब्धता है. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हमें किसी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी नहीं है.
वहीं, चुनाव आयोग ने इस मामले में लगाए गए आरोपों पर कोई सीधा जवाब देने से इनकार किया. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ERO के दफ़्तर में मतदाता सूची उपलब्ध है.
प्रशांत भूषण ने आग्रह किया कि 65 लाख हटाए गए नामों की सूची, मृत और स्थानांतरित मतदाताओं के नामों सहित तुरंत ऑनलाइन डाली जाए. उन्होंने कहा कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को आज ही अंतरिम आदेश पारित करना चाहिए, क्योंकि इस सप्ताह चुनाव आयोग की सुनवाई के लिए समय नहीं है.

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