
स्मृति ईरानी का 11 महीने बाद अमेठी पहुंचना क्या कहलाता है?
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2024 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद स्मृति ईरानी 11 महीने बाद अमेठी पहुंचीं तो लोगों को काफी हैरानी हुई. लोगों के मन में जो सवाल था, जुबां पर आ गया. पूछ बैठे फिर कब आना होगा. सवाल है कि क्या स्मृति ईरानी ने फिर से अमेठी का रुख किया है?
आम चुनाव से पहले की बात है. अमेठी में स्मृति ईरानी का घर बन कर तैयार हो गया था. गौरीगंज के के मेदन मवई गांव में 22 फरवरी, 2024 को परंपरागत तरीके से पूजा पाठ के बाद गृह प्रवेश कार्यक्रम संपन्न हुआ, और स्मृति ईरानी बोलीं - अब यहीं रहूंगी. घर बन जाने के बाद स्मृति ईरानी वोटर भी बन गईं. बूथ संख्या 347 की वोटर लिस्ट में नाम भी शुमार हो गया.
अपनी तरफ से स्मृति ईरानी ने सारी तैयारियां कर ली थी. सब कुछ पक्का कर लिया था. सब सुनिश्चित. लेकिन, सोचा हुआ होता कहां है? कहीं न कहीं एक छोटी सी चूक हो जाती है, और कुछ और ही हो जाता है. अमेठी में भी वही हुआ. पांच साल पहले जो राहुल गांधी के साथ हुआ था, स्मृति ईरानी के साथ भी हो गया. जैसे 2019 में राहुल गांधी चुनाव हार गये थे, 2024 में स्मृति ईरानी हार गईं.
स्मृति ईरानी की हार भी काफी तकलीफदेह थी. अगर राहुल गांधी स्मृति ईरानी को हराये होते, तो उतना दुख नहीं होता. क्योंकि 2014 में तो राहुल गांधी से चुनाव हार ही गई थीं. 10 साल बाद उसी चुनाव मैदान में कांग्रेस कार्यकर्ता किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति ईरानी को शिकस्त दे डाली.
हार के बाद तो राहुल गांधी ने भी अमेठी को लेकर बेरुखी दिखाई थी. लेकिन, स्मृति ईरानी के मुकाबले वक्त का फासला कम दर्ज किया गया. राहुल गांधी तो डेढ़ महीने में ही अमेठी लौटे थे, स्मृति ईरानी ने तो 11 महीने से ज्यादा टाइम लगा दिया. राहुल गांधी 10 जुलाई, 2019 को कुछ देर के लिए अमेठी गये थे.
26 मई, 2024 को अहिल्या बाई होल्कर जयंती के कार्यक्रम में हिस्सा लेने स्मृति ईरानी अमेठी पहुंची थीं. मीडिया से बातचीत में स्मृति ईरानी बोलीं, बहनों का काम होता है घर गढ़ना, और भाइयों का काम होता है घर की सुरक्षा करना. स्मृति ईरानी को भी मालूम था कि लोगों के मन में क्या चल रहा होगा, लिहाजा पहले से ही सोच कर आई थीं. बोलीं, मैं 11 महीने बाद जरूरी लौटी हूं, लेकिन मेरा नाता टूटा ही कब था.
चुनावी हार के बाद पहला दौरा, लेकिन अंदाज अलग

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