
सोशल मीडिया, जासूस हसीना और सेक्स चैट... हैरान कर देगी भारतीय वैज्ञानिक के हनीट्रैप की इनसाइड स्टोरी
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फोन पर मैसेज मिलने के बाद धीरे-धीरे प्रदीप कुरुलकर की उस लड़की से तकरीबन रोजाना बात होने लगी. उम्र के इस पड़ाव पर कुरुलकर भी खुद को अकेला महसूस करने लगे थे. फिर तो उस लड़की की चिकनी चुपड़ी बातों में जनाब ऐसे बहके कि बहकते ही चले गए.
प्यार वो हथियार है, जिसका इस्तेमाल दुश्मन अपना काम साधने के लिए सदियों से करते आ रहे हैं. हालांकि, बदलते दौर के साथ इस धोखेवाले प्यार का नाम भी बदलता रहा है. फिलहाल, इसका एक नाम हनी ट्रैप है. हमारे देश के डीआरडीओ (DRDO) के एक नामी वैज्ञानिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के जाल में फंसकर कैसे हनी ट्रैप का शिकार हुए... जानिए इस मामले की पूरी कहानी.
पाकिस्तानी एजेंट जारा - बेबी, मैंने अभी इसे देखा... क्या तुम इसी पर काम कर रहे हो? DRDO साइंटिस्ट प्रदीप - हां, मैं SAMs पर ही काम कर रहा हूं... जारा - तुम ये आर्मी को दोगे या एयरफोर्स को? प्रदीप - दोनों को... जारा - तो क्या टेस्टिंग और ट्रायल पूरा हो गया? जारा - अच्छा ये बताओ... क्या ब्रह्मोस भी तुम्हारा आविष्कार है बेबी? जारा - ये खतरनाक है? प्रदीप - मेरे पास शुरुआती डिजाइन्स की रिपोर्ट्स हैं (ब्रह्मोस की कुछ विशेष जानकारी उसमें नहीं है). जारा - बेबी... जारा - ये एयर लॉन्च्ड वर्जन था न? हमने इसके बारे में पहले बात की थी न? प्रदीप - हम्म...
साइंटिस्ट ने साझा कर दिए टॉप सीक्रेट ये उसी बातचीत का हिस्सा है, जो पाकिस्तानी एजेंट जारा और DRDO साइंटिस्ट प्रदीप के बीच तकरीबन रोज होती थी. और उस रोज उन दोनों के बीच कुछ ऐसी ही बातचीत हुई. इसके बाद बातचीत करने वाले DRDO साइंटिस्ट प्रदीप ने अपने दिल के साथ-साथ दफ्तर की फाइल भी मोहतरमा जारा के सामने खोल कर रख दी.
वो फाइल जिसमें ऐसे-ऐसे डिटेल्स दर्ज थे, जिन्हें सीक्रेट नहीं बल्कि टॉप सीक्रेट रखने की हिदायत दी जाती है. असल में फोन पर बातचीत करने वाले ये दोनों कोई मामूली लोग नहीं, बल्कि वो किरदार हैं, जिनकी ये बातचीत सुनने के बाद अब देश की तमाम खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ गई है. सरकार को समझ में नहीं आ रहा कि अब वो नुकसान की भरपाई करें, तो कैसे करें?
DRDO की पुणे इकाई के निदेशक थे प्रदीप दरअसल, इस बातचीत में एक तरफ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ के नामी साइंटिस्ट प्रदीप कुरुलकर हैं. वहीं, दूसरी तरफ वो अंजान हसीना है, जिसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट बताया जा रहा है.
प्रदीप कुरुलकर सिर्फ एक साइंटिस्ट ही नहीं, बल्कि डीआरडीओ की पुणे इकाई के डायरेक्टर भी रहे हैं. अब इतने संवेदनशील जगह पर होते हुए अगर कोई व्हाट्सएप पर अपने काम से जुड़ी जानकारियों का खुलासा करने लगे, तो फिर खुफिया एजेंसियों से लेकर सरकार तक के कान खड़े होना लाजिमी है.

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