
सोनागाछी में बैठी लड़की कैसे पता करे 2002 की फैमिली हिस्ट्री? एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में SIR
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वर्षों से माता-पिता से संपर्क नहीं, समाज की बंदिशें और सरकारी सिस्टम की चुनौतियां. सोनागाछी की सेक्स वर्करों के लिए 23 साल पुराना फैमिली हिस्ट्री पता करना काफी कठिन काम हो गया है. पश्चिम बंगाल में SIR की प्रक्रिया ने सोनागाछी जैसे रेड लाइट एरिया में जिंदगी बसर कर रहीं हजारों सेक्स वर्करों के लिए पहचान बचाने की चुनौती पेश कर दी है.
एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी में सेक्स वर्करों में बैचेनी है. पुराने बक्शे खोले जा रहे हैं. खोलियों में सहेजकर रखे गए तुड़े-मुड़े पुराने कागजों से गर्द-धूल की परतें हटाई जा रही हैं. हर सेक्स वर्कर एक ही कागज की तलाश कर रहा है और वो है अपना पहचान पत्र, पहचान को साबित करने वाले दूसरे दस्तावेज. चुनाव आयोग द्वारा बंगाल चुनाव से पहले शुरू की गई SIR (special intensive revision- विशेष गहन पुनरीक्षण) से सेक्स वर्कर हलकान हुए जा रहे हैं.
10 हजार सेक्स वर्करों के रिहायश सोनागाछी में सेक्स वर्करों के सामने कई मोर्चे पर चुनौतियां और समस्या है.
यहां कई लड़कियां, कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके न पिता का पता है और न ही घर द्वार का ठिकाना. कई सेक्स वर्कर ऐसी हैं जो कहती हैं कि उनसे जो डॉक्यूमेंट्स दिखाने के लिए कहा जा रहा है, खासकर 2002 के इलेक्टोरल रोल से फैमिली डिटेल्स का प्रूफ वे उनके लिए मौजूद ही नहीं हैं. ऐसे में उनके लिए सारे रास्ते बंद हो जाते हैं.
सोनागाछी में SIR, सहम गई हैं सेक्स वर्कर सोनागाछी में लड़कियां/महिलाएं अलग-अलग परिस्थितियों और रास्तों से पहुंचती हैं. इनमें से ज्यादातर की कहानी दुखभरी हैं. यहां पहुंचने वाली ज्यादातर महिलाएं ट्रैफिकिंग के जरिए पहुंचती हैं, ऐसी स्थिति में उनके पास खुद का या उनके परिवार का कोई दस्तावेज नहीं होता है. SIR के कागज दिखाना इन महिलाओं के लिए असंभव सा हो गया है.
कई महिलाएं या लड़कियां घर से भागकर देह व्यापार के इस दलदल में पहुंचती हैं. ऐसे में उनके पास अपनी जानकारी तो होती है लेकिन चुनाव आयोग द्वारा 2002 के वोटर लिस्ट से अपने माता-पिता का डिटेल निकालना इनके लिए नामुमकिन सा है.
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