सेना की तरह कोस्ट गार्ड में महिलाओं को अब तक क्यों नहीं मिला परमानेंट कमीशन? जानें कहां अटकी है बात
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तीनों सेनाओं में तो महिलाओं को परमानेंट कमीशन का हक मिल गया. लेकिन इंडियन कोस्ट गार्ड में अब भी महिलाएं इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहीं हैं. ऐसे में जानते हैं कि कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन क्यों नहीं?
सेना, नौसेना और वायुसेना की तरह इंडियन कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया जाए या नहीं? इस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच इस मामले पर शुक्रवार को फिर सुनवाई करेगी. कोस्ट गार्ड में परमानेंट कमीशन की मांग प्रियंका त्यागी ने की है.
प्रियंका त्यागी 2009 में कोस्ट गार्ड में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में नियुक्त हुई थीं. बाद में उन्हें प्रमोट भी किया गया. 2021 में उन्होंने परमानेंट कमीशन के लिए आवेदन दिया, लेकिन ये कहते हुए इसे लौटा दिया गया कि कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का प्रावधान नहीं है.
मई 2023 में प्रियंका ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. इसके बाद प्रियंका सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं. इस बीच दिसंबर 2023 में उन्हें सर्विस से रिटायर भी कर दिया गया.
प्रियंका की दलील है कि वो 14 साल पायलट रही हैं. उन्होंने साढ़े चार हजार घंटे उड़ान भरी है, जो सशस्त्र बलों में पुरुषों और महिलाओं में सबसे ज्यादा है. सर्विस के दौरान उन्होंने समंदर में 300 से ज्यादा लोगों की जान भी बचाई है. उन्होंने मांग की है कि सेना की तरह कोस्ट गार्ड में भी महिलाओं को प्रमोट किया जाए और कमीशन अधिकारी बनने का मौका दिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट का क्या है रुख?
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