सिलिकोसिस: पत्थर कटाई करने वाले मज़दूर जीते जी नर्क में रहने के लिए मजबूर क्यों हैं
The Wire
राजस्थान में पत्थर कटाई या इससे जुड़े कामों में लगे मज़दूरों में सिलिकोसिस बीमारी आम हो चुकी है. कई श्रमिक इस लाइलाज बीमारी से जूझते हुए जान गंवा चुके हैं, जिसके बाद उनका परिवार मुआवज़े की लड़ाई लड़ता रह जाता है. कई कामगारों ने बताया कि बीमार होने के बाद उन्हें जबरन काम से निकाल दिया गया.
अगर आप गूगल पर सिलिकोसिस शब्द खोजेंगे तो आपको यह जवाब मिलेगा, ‘सिलिका युक्त धूल में लगातार सांस लेने से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़े खराब हो जाते हैं. पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलने लगती है. इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है.’
लेकिन, हकीकत यह है कि सिलिकोसिस लाइलाज बीमारी है. एक बार सिलिकोसिस होने के बाद मरीज़ के बचने की उम्मीद नहीं रहती.
आपको यह जानकार दुख होगा लेकिन सच यह है कि भारत में इस बीमारी से सबसे ज्यादा मौतें उन लोगों की होती हैं जो मंदिर बनाते हैं या मंदिरों के लिए मूर्तियां बनाते हैं.
सारी दुनिया में स्वामीनारायण संप्रदाय के अक्षरधाम मंदिर अपनी ख़ूबसूरती के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यह हममें से कोई नहीं जानता कि इन मंदिरों को बनाने वाले लोग जवानी में ही मौत के मुंह में चले जाते हैं. इनकी जान बचाई जा सकती है लेकिन जिन उपायों से जान बच सकती है अगर वह अपनाए जाएंगे तो मूर्ति और मंदिर बनाने की कीमत कुछ बढ़ जाएगी.