
सिंधिया महल के ठाठ-बाट को अपलक निहारते रहे उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री, एशिया के सबसे बड़े झूमर पर मंत्रमुग्ध
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Gwalior Scindia Mahal: अपने शहर में टूरिस्ट गाइड के रूप में नजर आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को जय विलास पैलेस का दरबार हॉल भी दिखाया. हॉल में एशिया के सबसे बड़े झूमरों को देख उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री अचंभित रह गए.
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर दौरे पर थे. उन्होंने विक्टोरिया मार्केट बिल्डिंग में जियो साइंस म्यूजियम यानी भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) भू-विज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन किया. साथ ही जीवाजी विश्वविद्यालय में सिंधिया राजवंश के जीवाजीराव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण भी किया. इसके बाद उपराष्ट्रपति धनखड़ को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने जय विलास पैलेस भी ले गए.
इस दौरान उपराष्ट्रपति के साथ मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भी ऐतिहासिक इमारत की खूबसूरती को निहारा. सिंधिया महल के वैभव और राजशी ठाठ बाट को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव अपलक निहारते रहे.
टूरिस्ट गाइड के रूप में नजर आए केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने उपराष्ट्रपति को जय विलास पैलेस का दरबार हॉल भी दिखाया. हॉल में एशिया के सबसे बड़े झूमर देख उपराष्ट्रपति अवाक रह गए.
सिंधिया ने बताया कि ये झूमर 100 साल पहले लगवाए गए थे. एक झूमर का वजन साढ़े तीन टन है. यानी छत पर 7 टन के दो झूमर टंगे हुए हैं. झूमरों को टांगने से पहले छत की मजबूती की जांच की गई थी. इसके लिए 8 हाथियों को छत पर चढ़ाया गया था और करीब 10 दिन तक यह दोहराया गया, तब जाकर झूमर लटकाए गए थे. एक ही सोफा पर बैठे उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री मंत्रमुग्ध होकर टकटकी लगाकर देखते हुए नजर आए.
नेपाली और मराठी खाने का उठाया लुत्फ वहीं, दोपहर के भोजन में उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी समेत राज्यपाल और मुख्यमंत्री को नेपाली और मराठी भोज में तमाम प्रकार के व्यंजन परोसे गए. जैसे, नेपाली आलू, बड़ौदा पुलाव, सोल कड़ी, कुरकुरी भिंडी, लौकी कोफ़्ता कड़ी, श्रीखण्ड आदि.
सिंधिया परिवार के इतिहास की तारीफ जयविलास पैलेस की विजिटर बुक में उपराष्ट्रपति ने सिंधिया परिवार के समृद्ध इतिहास की तारीफ़ की. लिखा, ''मुझे इस इतिहास के बारे में और ज़्यादा जानने, समझने की जिज्ञासा है.''

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