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साहित्य हमारे समय में हो रहे अन्यायों की शिनाख़्त करता है और उनसे संघर्ष की प्रेरणा देता है

साहित्य हमारे समय में हो रहे अन्यायों की शिनाख़्त करता है और उनसे संघर्ष की प्रेरणा देता है

The Wire
Sunday, August 28, 2022 05:41:39 AM UTC

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अच्छा साहित्य हमें हमेशा वहां ले जाता है जहां भाषा पहले न गई हो: वह हमारी अनुभूति और अभिव्यक्ति के भूगोल को विस्तृत करता है. साहित्य हमें अधिकार और शक्ति के सभी प्रतिष्ठानों से, फिर वे राज्यपरक हों या धर्म, प्रश्न पूछने की हिम्मत देता है.

नागपुर स्थित विदर्भ साहित्य अंक अपनी स्थापना की एक शताब्दी पूरी कर चुका है और उस सिलसिले में वहां एक शाम को दो-ढाई घंटे चले सार्वजनिक संवाद के लिए जाना हुआ. मैंने शुरुआत में कहा कि नागपुर एक ऐसा शहर है जहां मराठी और हिन्दी के बीच लगातार स्वाभाविक आवाजाही होती है: पहले वह मुक्तिबोध का शहर था और अब मराठी नाटककार महेश एलकुंचवार का शहर है.

वह ऐसा शहर भी है जहां खाकी के प्रकोप और कुछ किलोमीटर दूर पर बसे सेवाग्राम में खादी के प्रकल्प के बीच एक लगभग महाकाव्यात्मक द्वंद्व होता और हो रहा है. इस बहाने साहित्य से मिलने वाले कुछ सबकों का ज़िक्र करना उचित होगा.

साहित्य हमें संसार से ब्योरों में, अंतर्विरोधों-विडंबनाओं आदि से घिरे संसार से अनुराग करना सिखाता है: हम संसार को उसके सहारे बेहतर समझते-सराहते-सहते हैं. साहित्य हममें यह एहसास भी गहरा और तीव्र करता है कि हमारा काम दूसरों के बिना संसार में चल नहीं सकता.

वह हमें बताता है कि ‘हम’ और ‘वे’ का युग्म अवास्तविक है: हम ही वे हैं और वे ही हम हैं. साहित्य हमारे समय और समाज में हो रहे अन्यायों और अत्याचारों की शिनाख़्त करता है और उनसे संघर्ष करने की प्रेरणा देता है. वह हर समय और समाज में वैकल्पिक सचाई और संसार की कल्पना करता और विकल्पों की खोज में हमें शामिल करता है.

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