
साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्य ग्रहण, अब 14 साल बाद आएगी ऐसी शुभ घड़ी
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Surya Grahan 2022: शनिश्चरी अमावस्या के बीच आज रात करीब 12 बजकर 15 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगने वाला है. हालांकि ज्योतिषविद इससे भयभीत ना होने की सलाह दे रहे हैं. दरअसल वैशाख माह की शनि अमावस्या इस बार एक नहीं बल्कि तीन तीन शुभ संयोग लेकर आ रहा है.
साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्य ग्रहण लग रहा है. वैशाख मास की यह तिथि बेहद खास होने जा रही है. शनिश्चरी अमावस्या के बीच आज रात करीब 12 बजकर 15 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगने वाला है. हालांकि ज्योतिषविद इससे भयभीत होने की बजाए शुभ बता रहे हैं. दरअसल वैशाख माह की शनि अमावस्या इस बार एक नहीं बल्कि तीन-तीन शुभ संयोग लेकर आ रही है. साढ़े साती के साथ-साथ शनिदेव की महादशा के लिए ये संयोग अत्यंत कल्याणकारी हैं.
शनि अमावस्या पर तीन शुभ संयोग शनि अमावस्या पर मेष राशि में तीन ग्रह सूर्य, चंद्रमा और राहु एकसाथ रहेंगे. एक ही राशि में 3 ग्रह होने से त्रिग्रही योग बनेगा. इस दौरान सूर्य अपनी उच्च स्थिति में रहेंगे और शनि अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होंगे. इस बीच प्रीति, आयुष्मान और केदार 3 शुभ योग बनेंगे. दोपहर 03 बजकर 20 मिनट तक प्रीति योग रहेगा. इसके बाद आयुष्मान योग शुरु होगा. दोनों ही योग स्नान और दान के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं. इतने सारे शुभ योग होने से शनिश्चरी अमावस्या का महत्व और भी बढ़ गया है.
14 साल बाद बनेगा ऐसा शुभ संयोग जब कोई अमावस्या शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है. वैशाख महीने में तीन साल पहले 2019 में शनि अमावस्या का संयोग बना था और अब 14 साल बाद 2036 में ऐसा संयोग बनेगा. अमावस्या के दिन पितरों के लिए श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं. इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने परिवार और सगे संबंधी को सुखमय जीवन का आशीर्वाद देते है.
शनि अमावस्या का शुभ मुहूर्त शनिश्चरी अमावस्या इस बार 29 अप्रैल को रात 12 बजकर 57 मिनट से शुरू हुई है और 30 अप्रैल रात 1 बजकर 57 तक रहेगी. लेकिन उदया तिथि की वजह से शनि अमावस्या 30 अप्रैल यानी आज ही मानी जाएगी. इस बीच रात 12 बजकर 15 मिनट पर सूर्य ग्रहण भी लगेगा.
शनि की उपासना से टलेगा संकट इस दिन शनिदेव के मंत्रों का जाप करें. शनि देव का तेल अभिषेक करें. शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं. सरसों के तेल में काले तिल जरूर डालें. शनि देव को अबीर, गुलाल, काजल, सिंदूर और कुमकुम लगाएं. शनिदेव को नीले रंग केफूल जरूर अर्पित करें. सरसों के तेल में बनी पूरी का प्रसाद बनाएं. शनि चालीसा का पाठ करें. पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनि अमावस्या के दिन काले तिल, काली उड़द, काला कपड़ा, लोहे की कोई चीज और सरसों का तेल का सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद या गरीबों को दान करें.

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