
'सभी सिर्फ बच्चों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं लेकिन...', कोचिंग हादसे पर बोलते हुए भावुक हुईं सपा सांसद जया बच्चन
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जया बच्चन ने राज्यसभा में कहा, 'बहुत साल बाद मैं इस तरह की चर्चा को देख रही हूं. जब निर्भया कांड हुआ था. उस व्यथा को मैं भी नहीं भूल सकती हूं. व्यथा से ज्यादा, वह अपमान जिसका सामना एक महिला को उस समय करना पड़ा. आज मैं यहां एक मां, एक दादी के रूप में बहुत दर्द के साथ खड़ी हूं.'
समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद जया बच्चन ने सोमवार को राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे पर कहा कि यहां बैठे सभी लोगों ने मृतक बच्चों को श्रद्धांजलि दी लेकिन किसी ने भी उनके परिवारों के बारे में कुछ नहीं कहा, उनमें कुछ किसान थे. जया बच्चन ने अपने भाषण की शुरुआत में निर्भया कांड का जिक्र किया. इस दौरान वह भावुक हो गईं और उनकी आंखें नम हो गईं.
जया बच्चन ने राज्यसभा में कहा, 'बहुत साल बाद मैं इस तरह की चर्चा देख रही हूं. जब निर्भया कांड हुआ था उस व्यथा को मैं नहीं भूल सकती हूं. व्यथा से ज्यादा, वह अपमान जिसका सामना एक महिला को उस समय करना पड़ा था. आज मैं यहां एक मां, एक दादी के रूप में बहुत दर्द के साथ खड़ी हूं. आज सब लोगों ने सिर्फ बच्चों को श्रद्धांजलि दी, किसी ने उनके परिवार के बारे में कुछ नहीं कहा, उनमें कुछ किसान थे... जो हुआ वह बेहद दर्दनाक था.'
'हमें इसमें राजनीति नहीं लानी चाहिए'
उन्होंने कहा, 'हमको इसमें राजनीति नहीं लानी चाहिए. हमने तीन युवाओं को खोया है और ऐसे बहुत से युवा गए हैं. मैं तब से बैठकर यहां देख रही हूं, मैं कलाकार हूं, बॉडी लैंग्वेज समझती हूं, सब लोग अपना-अपना पिट्ठू फिट कर रहे हैं. यह गलत है. हम राज्यसभा सदस्य हैं. हमें लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नॉमिनेट किया गया है. हमें करुणा और बुद्धिमत्ता के साथ बात करनी चाहिए.'
'ये किसी सरकार की नहीं, हमारी गलती है'
जया बच्चन ने कहा, 'सीपीडब्ल्यूडी है, एमसीडी है, एनडीएमसी है. इसका क्या मतलब है. जब मैं यहां शपथ लेने के लिए आई तो मेरे घर में घुटने तक पानी था. मेरे घर में सब कुछ बर्बाद हो चुका था. इन एजेंसियों की सांसदों के घरों का रखरखाव करने की व्यवस्था बहुत खराब है और यहीं से समस्या की शुरुआत होती है. ये किसी सरकार की गलती नहीं है, ये हम सब की गलती है. न हम शिकायत करते हैं, इसके ऊपर कार्रवाई नहीं होती है, इनके इंचार्ज कौन हैं, उनकी क्या जवाबदेही है, हम ये सब सोचते नहीं थे. हम आज हर चीज में राजनीतिक बातें कर रहे हैं. इससे बहुत दुख होता है. यह बहुत दुखद है.' अपने भाषण के अंत में उन्होंने हरिवंशराय बच्चन की एक कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ीं.

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