संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिले नजीब जंग समेत 5 मुस्लिम बुद्धिजीवी, जानें क्या हुई बात
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मुस्लिम समुदाय के पांच बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से पिछले महीने मुलाकात की थी. इस दौरान हिंदू-मुस्लिम के बीच सौहार्द के लिए काम करने पर सहमति बनी है. संघ ने हाल के दिनों में मुसलमानों से संपर्क बढ़ाया है और भागवत ने समुदाय के नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से हाल ही में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक पांच सदस्यीय दल ने मुलाकात की. संघ प्रमुख के साथ दो घंटे चली बैठक के दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द मजबूत करने और हिंदू-मुस्लिमों के बीच गहरी हो रही खाई को पाटने की जरूरत पर बल दिया गया. मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर काम करने के लिए भागवत ने संघ के चार सदस्यों को नियुक्त करने की बात कही.
संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने वालों में पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह और कारोबारी सईद शेरवानी शामिल थे. ये मुलाकात पिछले महीने 22 अगस्त को दिल्ली में हुई थी.
मोहन भागवत से मिलने की पहल मुस्लिम बुद्धिजीवियों की ओर से की गई थी. ये पहल उस समय हुई है जब बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी से स्थिति बिगड़ी थी.
पत्र लिखकर भागवत से मांगा था वक्त शाहिद सिद्दीकी ने aajtak.in को बताया कि देश में बिगड़ रहे सांप्रदायिक सौहार्द पर चिंतन करने के लिए पहले हम पांचों सदस्यों ने आपस में बात की. इस दौरान सभी ने तय किया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिला जाए और उनके साथ सारे मुद्दे पर मंथन किया जाए, क्योंकि संघ का प्रभाव जिस तरह हिंदू समुदाय के बीच बढ़ा है, ऐसे में उसे दरकिनार कर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. इसके बाद ही संघ प्रमुख को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा गया, जिस पर उन्होंने काफी दिनों के बाद 22 अगस्त को वक्त दिया था.
22 अगस्त को संघ प्रमुख से मुलाकात दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ के अस्थायी कार्यालय उदासीन आश्रम में हुई थी. बैठक करीब 2 घंटे चली. शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि इस दौरान देश में सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करने और अंतर-सामुदायिक संबंधों में सुधार पर व्यापक चर्चा हुई. संघ प्रमुख ने बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि हमें न तो इस्लाम से कोई दिक्कत है, न कुरान से और न ही मुसलमानों से. ऐसे में हमें भी गलतफहमी को दूर करना चाहिए और एक दूसरे के लिए अपने-अपने दिलों के दरवाजे खोलने चाहिए ताकि माहौल अच्छा हो सके.
शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि संघ प्रमुख के साथ बैठक के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और आपसी एकता को मजबूत किए बिना देश प्रगति नहीं कर सकता. तय हुआ कि दोनों ही पक्ष अपने-अपने समाज के बीच इसे लेकर काम करेंगे.
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