श्रीलंका में न बिजली, न डीजल, न मार्केट में मोमबत्ती... पैरासिटामोल की 10 गोली ₹450 में
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श्रीलंका में बुधवार से 10 घंटे का पावर कट शुरू हो गया है. लोगों के पास अंधेरे में रहने के अलावा कोई चारा नहीं है क्योंकि मोमबत्ती भी बाजार में नहीं मिल रही. आवश्यक सामानों की कमी है और उन्हें बाजार में ढूंढ पाना काफी मुश्किल काम है. कीमतों में ऐतिहासिक उछाल ने लोगों का जीना और दूभर कर दिया है.
श्रीलंका में अब तक का सबसे बड़ा पावर कट शुरू हो गया है. आजादी के बाद अब तक के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में बुधवार से प्रतिदिन 10 घंटे की बिजली कटौती की शुरुआत हो गई है. देश में पेट्रोलियम ईंधन की भारी कमी है जिस कारण बिजली का उत्पादन काफी कम हो गया है. देश में खाने-पीने का सभी जरूरी सामानों की भारी कमी है जिससे गुस्साए लोग गोटाबाया राजपक्षे सरकार पर अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं.
यही हाल दवा की दुकानों और अस्पतालों का भी है. देश में दवाओं की कमी के चलते सर्जरी रोकी जा रही है जिससे कई मरीजों की जान जाने का खतरा भी बढ़ गया है.
श्रीलंका के बिजली बोर्ड ने कहा कि महीने की शुरुआत से सात घंटे की जो बिजली काटी जा रही थी, अब उसे 10 घंटे किया जा रहा है क्योंकि बिजली उत्पादन के लिए ईंधन नहीं है.
गहराया बिजली संकट
अधिकारियों ने बताया कि श्रीलंका की 40 प्रतिशत से अधिक बिजली हाइड्रोपावर से पैदा की जाती है. ईंधन की कमी तो है ही, साथ ही बारिश न होने से अधिकांश नदियों और जलाशयों में पानी नहीं है जिस कारण बिजली पैदा करना और कठिन हो रहा है.
श्रीलंका में अधिकांश बिजली उत्पादन कोयले और तेल से होता है. इन दोनों ही चीजों के लिए श्रीलंका आयात पर निर्भर है. लेकिन देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया है जिस कारण सभी जरूरी चीजों के साथ-साथ इनका आयात भी नहीं हो पा रहा है.
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