
विदेश नीति में भी 'विजेता' हैं मोदी, मौत की सजा पाए नेवी अफसरों की स्वदेश वापसी के मायने
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कतर में मौत की सजा पाए नेवी के 8 पूर्व अफसरों की रिहाई आसान नहीं थी. पर इस कठिन कार्य को संभव बनाया है भारत की सफल कूटनीति ने. यह भारत का दुनिया में बढ़ते वर्चस्व की एक और बानगी है.
कतर में जासूसी करने के आरोप में सजा पाए 8 भारतीयों की आजादी बताती है कि हिंदुस्तान की तूती विश्व कूटनीति में किस तरह बोल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति से जुड़े कुछ काम ऐसे हुए हैं, जो उन्हें अजात-शत्रु बनाते हैं. विदेशी धरती पर भारत के लिए चैलेंज बने उन मुद्दों की बात बाद में करेंगे, पहले संतोष जाहिर करें उन 8 भारतीय नेवी अफसरों की कतर से वतन वापसी पर, जिन्हें पिछले साल अक्टूबर में वहां मौत की सजा सुना दी गई थी.
अगर भारत का इतिहास देखें तो यही लगेगा कि 8 नेवी अफसरों को वापसी नामुमकिन थी.आजादी के बाद पाकिस्तान जैसे देश में भारत के कितने ही निर्दोंष नागरिकों को आजीवन काल कोठरी में बिताना पड़ा और कितनों को को सूली पर चढ़ा दिया गया. सरकारें सिर्फ विरोध ही जताती रहीं. पिछले साल अप्रैल में मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने ट्वीट में लिखा था, भारत और कतर 2023 में राजनयिक संबंधों के 50वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं. इसके अलावा भारतीयों का कतर में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है. खरगे ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कतर में अपने समकक्ष को फीफा विश्व कप की शुभकामनाएं भेजीं, लेकिन हमारे बहादुरों के कीमती जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी आरोप लगाया था कि क्या प्रधानमंत्री इस वजह से कतर पर दबाव बनाने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं, क्योंकि कतर का सॉवरेन वेल्थ फंड अदाणी इलेक्ट्रिसिटी, मुंबई में एक प्रमुख निवेशक है. क्या इसीलिए जेल में बंद पूर्व नौसेना कर्मियों के परिजन जवाब के लिए दर-दर भटक रहे हैं. केंद्र सरकार बताए कि पूर्व नौसेना के कर्मियों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है. आज जरूर खरगे और जयराम रमेश को अपनी बातों पर शर्मिंदगी महसूस हो रही होगी.
1- नेवी अफसरों की रिहाई, मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति का सबूत
दरअसल नेवी के 8 अफसरों की रिहाई के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने स्तर से प्रयास कर रहे थे.पिछले साल दिसंबर में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्द अल-थानी से दुबई में हुए सीओपी 28 सम्मेलन से अगल से मुलाकात की थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी इस मीटिंग का जिक्र करते हुए बताया कि दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक अच्छी वार्ता हुई थी. दोनों देशों के बीच एक अहम समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत भारत कतर से लिक्विफाइड नेचुरल गैस खरीदेगा.ये करार भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड कंपनी ने कतर की सरकारी कंपनी के साथ हुआ है.दरअसल सरकार जब इस तरह के समझौते करती है उसके आगे पीछे कई तरह के निर्णायक फैसले और होते हैं. यही दिखाता है कि सरकार अगर किसी काम के लिए दृढ इच्छाशक्ति दिखा दे तो कौन सा ऐसा काम है जो संभव न हो जाए.
2- निज्जर को मुद्दा बनाने चला कनाडा अकेला पड़ा
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