वाराणसी: क्या ज्ञानवापी में हुए सर्वे के आधार पर कोर्ट सुनाएगा फैसला? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
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ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट की गुरुवार की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी. अब मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने जिस वक्त वाराणसी कोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाई तब वहां सुनवाई जारी ही थी, ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े सर्वे रिपोर्ट पेश की जा रही थी.
ज्ञानवापी परिसर का सर्वे पूरा हो चुका है. सर्वे के तहत मस्जिद में मंदिर होने के सबूत मिलने के दावे किए जा रहे हैं. ऐसे में अब कोर्ट का अगला कदम क्या होगा? क्या सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद केस का निपटारा हो जाएगा? कानून के जानकारों की मानें तो ऐसा नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी सर्वे की कानूनी वैधता को चुनौती दी जा चुकी है. इसके लिए पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को आधार बनाया गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्ञानवापी में शिवलिंग और प्राचीन मंदिर के सबूत मिलने के बाद भी हिंदू पक्ष का केस खारिज हो सकता है.
निर्णय लेने में मदद करता है सर्वे, रिजेक्ट भी हो सकता है
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज गुप्ता इस मामले में कहते हैं कि लोकल कमिश्नर की रिपोर्ट किसी मामले में निष्कर्ष तक पहुंचने में मदद करती है. जहां तक रिपोर्ट का सवाल है, अगर कोर्ट के सामने रिपोर्ट को लेकर आपत्ति दाखिल की जाएगी और अगर कोर्ट को लगेगा तो वह कमिश्नर को बुलाकर पूछताछ कर सकता है. अगर रिपोर्ट स्वीकार हो जाती है तो यह प्रमाण का हिस्सा हो जाएगी. अगर कोर्ट को रिपोर्ट अधूरी या उसमें कोई कमी नजर आएगी तो वह उसे रिजेक्ट भी कर सकता है.
अगर पूजा करने की मांगी इजाजत तो सर्वे बेवजह कराया
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन है या नहीं ? लेकिन हिंदू पक्ष सर्वे को पूरी तरह कानूनी साबित करने के लिए तर्क दे रहा है.
पहला तर्क तो यह है कि ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मांगी गई है न कि मंदिर निर्माण की. दूसरा तर्क यह दिया जा रहा है कि मस्जिद उसी जमीन पर बन सकती है जिस पर पहले से कोई स्ट्रक्चर न हो. ऐसे में ज्ञानवापी को मस्जिद नहीं कहा जा सकता. कानून के जानकार मानते हैं कि अगर पूजा करने की इजाजत मांगी गई है तो फिर सर्वे करना बेवजह है.
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