
वसुंधरा राजे को राजस्थान में क्यों दरकिनार नहीं कर सकती बीजेपी? 5 points में समझिए
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राजस्थान में वसुंधरा राजे और बीजेपी कभी एक-दूसरे के पर्याय हुआ करते थे, लेकिन परिस्थितियां बदल गईं हैं. बीजेपी राजस्थान चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी को चेहरा बनाए बगैर मैदान में उतरेगी लेकिन पार्टी वसुंधरा राजे को पूरी तरह दरकिनार भी नहीं कर सकती है. क्यों?
राजस्थान में चुनाव होने हैं और चुनाव से पहले सूबे में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने दो दिन जयपुर में कैंप किया. बीजेपी अध्यक्ष नड्डा और शाह ने कोर कमेटी की बैठक ली और गुटबाजी पर नाराजगी जताई. नड्डा-शाह ने बैठक में ये भी साफ कर दिया कि पार्टी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी नेता का चेहरा प्रोजेक्ट किए बिना मैदान में उतरेगी.
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राजस्थान बीजेपी कोर कमेटी की मीटिंग के बाद दोनों नेताओं ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ मीटिंग भी. दूसरी तरफ, वसुंधरा समर्थक माने जाने वाले सात बार के पूर्व विधायक देवी सिंह भाटी की पार्टी में वापसी भी हो गई है. ये वही नेता हैं जिनको लेकर कहा जा रहा था कि बीजेपी में वापसी के लिए वसुंधरा के चेहरे पर चुनाव लड़ने का ऐलान किए जाने की शर्त आलाकमान के सामने रखी है.
बीजेपी की बगैर सेनापति के चुनावी रणभूमि में उतरने की तैयारी और वसुंधरा के लीडरशिप की शर्त रखने वाले भाटी का पार्टी में वापस लौट आना, सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा को चुनाव बाद के लिए कोई आश्वासन दे दिया है? ये सवाल इसलिए भी गहरा हो गया है क्योंकि नड्डा-शाह के जयपुर से लौटने के तुरंत बाद से ही वसुंधरा एक्टिव मोड में आ गईं.
वसुंधरा राजे अलवर जिले की बलदेवगढ़ पंचायत के बरवा डूंगरी गांव पहुंचीं और पदयात्रा के समापन समारोह में शिरकत की. वसुंधरा ने संतों का आशीर्वाद भी लिया. सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर बीजेपी वसुंधरा राजे को क्यों पूरी तरह से दरकिनार भी नहीं कर सकती है? आइए, पांच पॉइंट में समझते हैं.
सियासत का लंबा अनुभव

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