
वक्फ बिल में 'वक्फ बाय यूजर' क्या है? सरकार ने क्यों हटाया ये प्रावधान, विपक्ष की नाराजगी की क्या है वजह
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राज्यसभा में बिल पेश करते हुए मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कोई भी प्रॉपर्टी हो उसके दस्तावेज तो होने चाहिए. वक्फ बाय यूजर के नाम पर हम मुंह से कह देंगे कि ये प्रॉपर्टी हमारी या उनकी है, ये नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ इस्तेमाल के आधार पर किसी प्रॉपर्टी को वक्फ घोषित किया जा सकता था.
लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल को वोटिंग के बाद पारित कर दिया गया. बुधवार को दोपहर 12 बजे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने यह बिल पेश किया था जिसे मैराथन चर्चा के बाद आधी रात करीब दो बजे सदन की मंजूरी मिली. गुरुवार को इस बिल पर राज्यसभा में चर्चा चल रही है, जहां बिल को पक्ष और विपक्ष में दलीलें पेश की जा रही हैं. सरकार ने इस बिल में वक्फ बोर्ड के गठन और संपत्तियों के रेगुलेशन को लेकर कई अहम बदलाव किए हैं, जिनमें पहले से चली आ रही व्यवस्था 'वक्फ बाय यूजर' को खत्म करना भी शामिल है.
क्या है वक्फ बाय यूजर
वक्फ बाय यूजर का मतलब है कि ऐसी कोई जमीन जिसे पहले से मस्जिद, इमामबाड़ा या फिर कब्रिस्तान के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. वह वक्फ की संपत्ति मानी जाएगी. भले ही उसे संपत्ति के दस्तावेज वक्फ के पास न हों. नए प्रावधानों के मुताबिक अब सिर्फ वही संपत्ति वक्फ मानी जाएगी, जिसे औपचारिक तौर पर लिखित दस्तावेज या फिर वसीहत के जरिए वक्फ को सौंपा गया हो. ऐसे में उस संपत्ति के लीगन डॉक्यूमेंट वक्फ बोर्ड के पास होना जरूरी हैं.
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पहले से चली आ रही व्यवस्था में वक्फ बाय यूजर के तहत कोई संपत्ति, जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान या दरगाह, अगर लंबे समय से मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक या सामुदायिक कामों के लिए इस्तेमाल हो रही हैं, तो उसे बिना किसी कानूनी दस्तावेज या ऐलान के वक्फ मान लिया जाता था. ये इस्लामिक कानून और भारत में वक्फ की पुरानी प्रथा का हिस्सा था. लेकिन लोकसभा से पारित हुए विधेयक में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है.
जमीन पर कब्जे की शिकायतें

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