वंदे भारत: बार-बार टूटती 'नाक', प्लास्टिक के बजाए स्टील का क्यों नहीं इस्तेमाल? सरकार ने बताई वजह
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Indian Railways: पिछले कुछ दिनों में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से मवेशियों के टकराने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. संसद सत्र में बुधवार को सरकार से इन घटनाओं का ब्योरा और इनकी वजह के बारे में पूछा गया. साथ ही, उनसे ये भी पूछा गया कि ट्रेनों को दबाव झेलने में सक्षम बनाने के लिए इन्हें कार्बल स्टील से क्यों नहीं बनाया गया? जानते हैं सरकार ने क्या दिया जवाब.
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से मवेशियों के टकराने की कई घटनाएं बीते कुछ दिनों में सामने आ चुकी हैं. रेलवे की तरफ से इन हादसों को रोकने लगातार कोशिशें जारी हैं. हालांकि, इन घटनाओं पर देश की संसद में भी चिंता जाहिर की गई. जारी संसद सत्र में बुधवार को सरकार से इन घटनाओं का ब्योरा और इनकी वजह के बारे में पूछा गया.
इन घटनाओं में अक्सर ट्रेन के सामने के नुकीले हिस्से के क्षतिग्रस्त होने की तस्वीरें सामने आई हैं. सांसद ए राजा ने रेल मंत्री से पूछा कि क्या ट्रेन में इस्तेमाल रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक में कोई खामी इसकी वजह है? यह भी पूछा गया कि ट्रेनों को दबाव झेलने में सक्षम बनाने के लिए इन्हें कार्बल स्टील से क्यों नहीं बनाया गया?
रेल मंत्री की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया कि 1 जून 2022 से पूरे देश में वंदे भारत ट्रेनों में बियरिंग के फेल होने की वजह से एक्सल लॉक होने का 1 मामला सामने आया जबकि जानवर टकराने की 68 घटनाएं हुईं. रिइनफोर्स्ड प्लास्टिक में खामियों को इन दुर्घटनाओं की वजह मानने से खारिज करते हुए रेल मंत्री ने बताया कि वंदे भारत के सवारी डिब्बे का बाहरी हिस्सा हाई क्वॉलिटी स्टील से बनाया गया है. हालांकि, गाड़ी के सामने वाले हिस्से में नोज कोन के रूप में लगाया गया कपलर कवर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक का बना है. यह नोज कवर गाड़ी को एयरोडायनामिक प्रोफाइल देता है, बल्कि यह टक्कर के प्रभाव को झेलने में भी सक्षम है.
रेल मंत्री से यह भी पूछा गया कि क्या जांच की गई कि कहीं ट्रेन के रेक के निर्माण में सप्लायर्स ने घटिया क्वॉलिटी का सामान तो नहीं दिया. रेल मंत्री ने जवाब में बताया कि सामान की सप्लाई नियमों के तहत हुई और निर्धारित निरीक्षणों के बाद ही इस्तेमाल हुई. यदि क्वॉलिटी में कोई समस्या आती है तो कॉन्ट्रैक्ट के नियमों के तहत ऐक्शन होता है.
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