
लद्दाख: बंकर तोड़े, खाली किए पोस्ट, आखिरकार गोगरा हॉटस्प्रिंग में स्टैंडऑफ प्वाइंट से पीछे हटी भारत-चीन की सेना
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भारतीय और चीनी सेनाओं ने 8 सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने गतिरोध वाले पॉइंट (PP-15) से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. दोनों सेनाओं ने ये भी बताया था कि जुलाई में हाईलेवल की सैन्य वार्ता के 16वें राउंड में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट को लेकर रणनीति तय की गई थी.
आखिरकार भारत और चीन की सेनाओं के बीच दो साल से चल रहा गतिरोध अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है. सोमवार को पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स एरिया में पेट्रोलिंग पॉइंट 15 (PP-15) से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं. यहां पांच दिन तक डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया चली. आखिरी दिन अस्थायी बुनियादी स्ट्रक्चर (बंकर) को भी ध्वस्त कर दिया गया है. दोनों देशों की सेनाएं योजना के अनुसार वापस भेजी गई हैं. इतना ही नहीं, इस पूरी प्रोसेस का वेरिफिकेशन भी किया जा रहा है. इलाके की पूरी जमीन समतल कर दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक, डिसइंगेजमेंट और वेरिफिकेशन प्रोसेस के बारे में ग्राउंड कमांडर्स से पूरी जानकारी का इंतजार किया जा रहा है. हालांकि दोनों पक्ष पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 (पीपी-15) से अलग हो गए हैं, लेकिन डेमचोक (Demchok) और देपसांग (Depsang) इलाके में गतिरोध को समाप्त करने में अभी तक कोई प्रोगेस नहीं हुई है.
8 सितंबर से शुरू हुई थी पीछे हटने की प्रक्रिया
बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने 8 सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने गतिरोध वाले पॉइंट (PP-15) से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. दोनों सेनाओं ने ये भी बताया था कि जुलाई में हाईलेवल की सैन्य वार्ता के 16वें राउंड में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट को लेकर रणनीति तय की गई थी. 9 सितंबर को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया था कि पीपी-15 में डिसइंगेजमेंट की प्रोसेस सोमवार तक पूरी कर ली जाएगी.
अस्थाई ढांचे को हटाने पर भी बनी थी सहमति
उन्होंने बताया था कि समझौते के अनुसार, इस इलाके में डिसइंगेजमेंट प्रोसेस 8 सितंबर को सुबह 8.30 बजे शुरू हुई और 12 सितंबर तक पूरी हो जाएगी. दोनों पक्ष चरणबद्ध, कोऑर्डिनेटेड और वेरिफिकेशन के साथ इस क्षेत्र में पीछे हटने पर राजी हुए हैं. बागची ने बताया था कि 'ये तय किया गया है कि दोनों देश यहां बनाए गए सभी अस्थायी स्ट्रक्चर (बंकर) और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करेंगे और पारस्परिक रूप से इसका वेरिफिकेशन भी किया जाएगा. इलाके में लैंडफॉर्म्स (भू-आकृति) को दोनों पक्षों द्वारा पूर्व-स्टैंड-ऑफ अवधि में बहाल किया जाएगा.

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