राज्यसभा चुनाव के कुछ घंटे पहले कितना काम करेगा राजनीति का 'RRR' फैक्टर?
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राज्यसभा चुनाव के लिए 15 राज्यों में कुल 57 सीटों पर चुनाव होना था. इनमें नामांकन वापसी के अंतिम दिन 41 सदस्य निर्विरोध चुन लिए गए. अब सिर्फ 16 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. ये चुनाव चार राज्यों में होगा.
Rajya Sabha Election: राजनीति में अब एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. जिसको लेकर इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है. यह है ट्रेंड है राजनीति का वो ट्रिपल आर (RRR) जिसका मतलब है रेस फॉर राज्यसभा वाया रिसॉर्ट (Race for Rajyasabha via Resort). दरअसल, कई राज्यों में राज्यसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन इनसे पहले राजनीतिक पार्टियों को क्रॉस वोटिंग का डर सताने लगा है. जिसके चलते रिसॉर्ट पॉलिटिक्स देखने को मिल रही है. हालांकि राज्यसभा का चुनाव यूं तो 57 सीटों का है. लेकिन 41 उम्मीदवार निर्विरोध चुने जा चुके हैं. 10 जून को चार राज्यों में बाकी बची सीट पर वोटिंग होनी है. जिसमें से महाराष्ट्र और राजस्थान भी है. महाराष्ट्र में छह सीटों का चुनाव है. लेकिन इसी बीच सातवां उम्मीदवार उतरने से पेंच फंस गया. नौबत यहां तक आ गई भी अपने-अपने विधायकों की बाड़ाबंदी भी हो गई. लेकिन चिंता सबसे ज्यादा शिवसेना को सताने लगी, विधायकों के साथ बैठक करके पहले उन्हें रिजॉर्ट और फिर फाइव स्टार होटल में भेजना पड़ा. राजस्थान में विधायकों की दौड़ भी चर्चा से बाहर नहीं है. अशोक गहलोत अपने विधायकों को लेकर एकदम सतर्क मोड में हैं. कांग्रेस के सभी विधायकों को आलीशान रिसॉर्ट में ठहराया गया है. तो बीजेपी भी क्रॉस वोटिंग को लेकर पूरी सावधानी बरत रही है. बीजेपी ने भी अपने विधायकों को सुरक्षित रिसॉर्ट में ठहराने का बंदोबस्त कर लिया और नाम दिया प्रशिक्षण शिविर का. लेकिन राज्यसभा चुनाव से पहले इस तरह की रिसॉर्ट पॉलिटिक्स की तस्वीर चारों तरफ चर्चा में है. हालांकि राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आजतक से ख़ास बातचीत में कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मैं इसे ठीक नहीं मानता हूं. सचिन पायलट नें कहा कि जब राज्यसभा के चुनाव आते हैं तो दुर्भाग्य से यह ट्रेंड बन चुका है कि हर पार्टी अपने अपने विधायकों को अपने साथ रखे. हालांकि मैं व्यक्तिगत तौर पर रिसॉर्ट पॉलिटिक्स को ठीक नहीं मानता हूं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह का पॉलिटिकल तस्वीर सामने आई है उसमें यह अनिवार्य बन गया है. मैं चाहता हूं कि भविष्य में ऐसा करने की जरुरत ना पड़े, सभी संख्या बल पर चुनाव लड़ें. इस दौरान सचिन पायलट ने अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत का दावा किया है.
बता दें कि साल 2019 में सरकार बननी थी तो रिजॉर्ट पॉलिटिक्स चलन में आई. जिसमें विधायकों को रिसॉर्ट में लाकर सुरक्षित तरीके से रखा जाता है. ताकि उन्हें बाकी पॉलिटिकल पार्टियां खरीद ना सकें, बहका ना सकें, वोट ना टूटें. ऐसे में बात करें महाराष्ट्र की तो यहां कहानी कुछ ऐसी है कि यहां 6 राज्यसभा सीट हैं, लेकिन उम्मीदवार सात हैं. इसलिए छठी सीट को लेकर असली संघर्ष है. हर एक सीट के लिए 42 वोट की जरूरत है. जिसमें बीजेपी की, दो सीट पर जीत तय है. इसके बाद 22 वोट अतिरिक्त हैं. वहीं कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के एक-एक उम्मीदवार की भी जीत तय है. अब दावा है कि बीजेपी के तीसरे और शिवसेना के दूसरे प्रत्याशी में छठी सीट की लड़ाई है. जिसके बाद विधायकों को लेकर बसें, एक होटल से दूसरे होटल दौड़ रही हैं. चुनाव के दौर में एक तस्वीर यह भी है कि जिस महाराष्ट्र में किसानों पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए का कर्ज है. जिस महाराष्ट्र में प्रति महीने प्रति व्यक्ति आय 15 हजार रुपए है. वहां विधायक उससे ज्यादा के एक दिन के दाम वाले होटल-रिसॉर्ट में रुककर संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सांसद को चुनकर भेजने के लिए ठहराए गए हैं.
वहीं हरियाणा में दो सीटों पर चुनाव है. जिसमें तीन उम्मीदवार हैं. सीट पर उम्मीदवारों की बात करें तो बीजेपी ने कृष्ण लाल, कांग्रेस ने अजय माकन को उतारा है. वहीं पूर्व मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा JJP के समर्थन से निर्दलीय उतर गए. ऐसे में अब चिंता बढ़ती हुई नजर आने लगी कि पार्टी के विधायक कहीं क्रॉस वोटिंग ना कर दें. लिहाजा हरियाणा कांग्रेस के विधायक रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस की निगरानी में हैं. मामले में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि एक सीट बीजेपी, एक सीट कांग्रेस के पास है, ऐसे में जबरदस्ती तीसरा कैंडिडेट खड़ा करके रस्साकशी बढ़ाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है हम जीतेंगे. (आजतक ब्यूरो)
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